Analysis: जिस सियासी दल को पूर्वांचल का मिला आशीर्वाद, उसी के सिर पर सजा सत्ता का ताज
punjabkesari.in Monday, Jan 17, 2022 - 12:00 PM (IST)
बस्ती: गोरखपुर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विधानसभा के चुनावी रण में उतरने के ऐलान के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश में बर्फीली हवाओं के बीच राजनीतिक सरगर्मी पूरे शवाब पर है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) 2017 के चुनाव का इतिहास दोहराने का दावा कर रही है वहीं समाजवादी पार्टी (SP) गठबंधन जातियों के दम पर भाजपा का तिलिस्म तोड़ कर 2012 का प्रदर्शन दोहराने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। प्रदेश की राजनीति में पूर्वांचल की अहम भूमिका है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो यही समझ में आता है कि जिस भी सियासी दल को पूर्वांचल का आशीर्वाद मिला है,सत्ता का ताज उसी के सिर सजा है। विधानसभा की 403 सीटों में से 162 सीटें पूर्वांचल से आती हैं। आजादी के बाद लम्बे अरसे तक पूर्वांचल कांग्रेस का गढ़ रहा लेकिन समय के साथ कांग्रेस कमजोर होती गई। इसके बाद बसपा और सपा ने पूर्वांचल जीतकर सरकार बनाई लेकिन 2014 के बाद बदले हालत में बीजेपी ने पूर्वांचल में अपनी पकड़ मजबूत कर लिया है।
2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू पूर्वांचल के मतदाताओं पर सिर चढ़ कर बोला,नतीजन आजमगढ़ की सीट छोड़कर सभी लोकसभा की सीटें भाजपा की झोली में गयी। मोदी के व्यक्तित्व और कार्यशैली के मुरीद पूर्वांचल ने 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा पर जमकर प्यार लुटाया और 162 में से भाजपा को 115 सीटें मिली थी वहीं सपा के खाते में 17 और बसपा की झोली में 14 सीटें ही गईं। भाजपा ने इस चुनाव में अपने बलबूते 312 सीटें हासिल की और योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
भाजपा के एक कद्दावर नेता ने सोमवार को बातचीत में कहा कि योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर से उतारने का पार्टी आलाकमान का फैसला पार्टी के हक में निर्णायक साबित हो सकता है। भाजपा हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता, पदाधिकारी भी चुनाव मैदान मे योगी की जीत के लिए मैदान पर उतर चुके है और सरकार द्वारा किये गये विकास कार्यो और उपलब्धियों को जन-जन में पहुंचा रहे है।