'देश का नारा जय जवान, जय किसान, जय संविधान होना चाहिए...' अखिलेश यादव की नई मांग

punjabkesari.in Saturday, Dec 06, 2025 - 03:41 PM (IST)

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर नई मांग उठाते हुए कहा है कि देश का नारा जय जवान, जय किसान, जय संविधान होना चाहिए। यादव ने एक्स पर पोस्ट किया ' संविधान को लेकर कोई पक्ष-विपक्ष नहीं होना चाहिए। सब एक तरफ़, एक मत होने चाहिए। संविधान सिर्फ किताब नहीं बुनियाद भी है। एक लोकतंत्र के लिए सबसे दुखद बात ये है कि संसद में संविधान को बचाने पर बहस हो रही है, जबकि संविधान के हिसाब से देश को आगे बढ़ाने की चर्चा होनी चाहिए। 

'जो संविधान को कमज़ोर करना चाहते हैं, वो..'
सपा प्रमुख ने कहा, संविधान पर संकट का आना दरअसल लोकतंत्र पर संकट का छाना है। जो संविधान को कमज़ोर करना चाहते हैं, वो लोकतंत्र को कमज़ोर करना चाहते हैं और लोकतंत्र के विरोधी वही होते हैं जो एकतंत्र लाना चाहते हैं। संविधान हक़ देता है, और जो हक़ मारना चाहते हैं, वो संविधान को नकारने की कोशिश करते हैं।' उन्होंने लिखा ' मैंने कई बार कहा आज फिर कह रहा हूँ। संविधान ही संजीवनी है। इसमें देश को अच्छा करने की, अच्छा रखने की शक्ति है।

 

हमारे लिए संविधान कर्म ग्रंथ हैः अखिलेश 
अखिलेश यादव ने कहा, संविधान लोकतंत्र का कर्म ग्रंथ होता है। इसीलिए हमारे लिए संविधान कर्म ग्रंथ है। देश संविधान से चलना चाहिए, ‘मन-विधान' से नहीं। संविधान ही पीडीए का प्रकाश स्तंभ है क्योंकि संविधान ही व्यक्ति की गरिमा और प्रतिष्ठा को सुनिश्चित करता है। यह पीडीए समाज को शोषण, उत्पीड़न से बचाता है और शोषकों को यही सज़ा दिलवाता है। इसीलिए हम पीडीए वालों के लिए आख़िरी उम्मीद का नाम संविधान है।'       

'संविधान ही लोकतंत्र की प्राणवायु है'
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा ' संविधान ही हमारा रक्षा कवच है। संविधान ही हमारी ढाल है। संविधान है तो सुरक्षा है।संविधान है तो शक्ति है। संविधान ही देश की 90 प्रतिशत शोषित, उपेक्षित, पीड़ति, वंचित जनता के अधिकारों का सच्चा संरक्षक है। संविधान ही सबसे बड़ा मददगार है। इसीलिए पीडीए के लिए संविधान की रक्षा जनम-मरण का विषय है।जो संविधान नहीं मानते, उनके लिए यह कोरा पन्ना है। संविधान ही लोकतंत्र की प्राणवायु है। संविधान को निष्क्रिय करना स्वतंत्रता को निष्क्रिय करना होता है। संविधान को परतंत्र बनाकर जो लोग राज करना चाहते हैं, उनके लिए ‘आज़ादी का अमृतकाल' भी सिर्फ एक जुमला है। अंत में मैं सिर्फ यह कहना चाहूँगा कि ‘संविधान बचेगा तो न्याय बचेगा' और न्याय बचेगा तभी सबको बराबर मान, सम्मान, सबको बराबर मौके मिलेंगे, भेदभाव भी मिटेगा और भेद का भाव भी।''


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Content Editor

Pooja Gill

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