BHU में ‘भूत विद्या’ से लाेगाें में नाराजगी, की ये मांग

punjabkesari.in Tuesday, Dec 31, 2019 - 05:14 PM (IST)

वाराणसीः महामना की बगिया बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में भूत विद्या की पढ़ाई शुरु होने वाली है जिसके नाम को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों की जबरदस्त नाराजगी चल रही है। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि आयुर्वेद विभाग द्वारा प्रपोज किया जा रहा कोर्स साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर से संबंधित है इसका तांत्रिक विद्या, भूत-प्रेत या सुपरनैचुरल स्टडीज से कोई लेना-देना नहीं है।

BHU कोर्ट के सदस्य श्रीराम एस. सावरिकर ने एक लेटर में कहा है कि आयुर्वेद के बारे में आम आदमी की समझ सीमित है, इसलिए नाम को लेकर स्पष्टता बेहद जरूरी है। हालांकि, विषय के बारे में मेरी जानकारी के आधार पर, यह मनोरोग से संबंधित प्रतीत होता है। इसलिए, कोर्स का नाम बदल दिया जाना चाहिए और इसका नाम बदलकर आयुर्वेदिक साइकेट्री कर दिया जाना चाहिए।

भूत विद्या आयुर्वेद चिकित्सा की एक शाखा है
भूत विद्या या ग्रह चिकित्सा आयुर्वेद की एक ब्रांच है। यह अज्ञात कारणों से होने वाले रोगों के निदान के लिए इस्तेमाल की जाती है। आयुर्वेद की यह शाखा विशेष रूप से मानसिक विकारों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। आधुनिक शब्दावली में इसे अज्ञातहेतुक रोग (बिना कारण के उत्पन्न होने वाला रोग) माना जाता है। जिसमें रोग का ठीक कारण अज्ञात होता है। इस चिकित्सा के लिए जड़ी बूटियों को विशेष प्रकार से जैसे उन्हें जलाकर उसके धुंए से और विशेष मंत्रों के द्वारा इलाज किया जाता है।

क्या कहते हैं प्रोफेसर
बीएचयू के आयुर्वेद विभाग की डीन यामिनी भूषण त्रिपाठी ने बताया कि फैकल्टी में भूत विद्या की पढ़ाई के लिए एक अलग यूनिट बनाई गई है, जिसमें आयुर्वेद के चिकित्सकों को इसके बारे में जानकारी दी जा सके। ये कोर्स आयुर्वेदिक बीमारियों के जरिए भूत दिखने संबंधित बीमारियों और मानसिक (साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर) बीमारियों का इलाज किया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि भूत विद्या अष्टांग आयुर्वेद की एक शाखा है। ये मूल रूप से साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर से डील करता है और ऐसी बीमारियों से भी जिनके कारणों के बारे में पता नहीं चलता।

भूत विद्या को लेकर अलग यूनिट बनाने वाला देश का पहला आयुर्वेद विभाग है
बता दें कि बीएचयू का आयुर्वेद विभाग देश का पहला विभाग है जो इसे लेकर अलग यूनिट बना रहा है। भूत विद्या के लिए अलग यूनिट बनाने के प्रयास करीब 6 महीने पहले शुरू किए गए थे। फैकल्टी के सभी 16 विभागों के अध्यक्ष की बैठक के बाद प्रपोजल तैयार किया गया है। इसके बाद ये प्रपोजल एकेडमिक काउंसिल के पास भेजा गया।काउंसिल ने इसके लिए अलग यूनिट बनाने के प्रस्ताव पर हामी भर दी।

तंत्र-मंत्र से नहीं है कोई मतलब
आयुर्वेद के वैद्य और फैकल्टी में एसोसिएट प्रोफेसर सुशील कुमार दुबे ने कहा कि इस यूनिट के जरिए भूत विद्या से जुड़ी कई बातों के अध्ययन का मौका आयुर्वेद के विद्यार्थियों को मिल सकेगा। इसका तंत्र-मंत्र से कोई मतलब नहीं है।

Ajay kumar