रुला देगी ये 'दोस्ती'...दोस्त का देखा शव तो दोस्त की थम गई सांसे, जीवन के 70 साल बिताए साथ

punjabkesari.in Saturday, Dec 17, 2022 - 05:31 PM (IST)

प्रयागराज: 'ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे...तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे' ये गाना उस वक्त सच हो गया जब एक दोस्त का शव देखकर दूसरे दोस्त ने दम तोड़ दिया। दरअसल, थरवई के टिटिमपुर गांव के रहने वाले मसुरियादीन यादव और राम कृपाल यादव जिगरी दोस्त थे। गुरुवार को मसुरियादीन का निधन हो गया। इसकी जानकारी जैसे ही दोस्त राम कृपाल को हुई तो वह सीधे मसुरियादीन के घर पहुंचे और दोस्त का मरा हुआ चेहरा देख रोते हुए भगवान से खुद को भी दुनिया से उठा लेने की बात कही। इतना कहने के साथ ही रामकृपाल की सांसे भी थम गई।

जीवन के 70 साल साथ बिताए...
जिले के थरवई थाना क्षेत्र के टिटिमपुर गांव के अलग-अलग मजरे में रहने वाले राम कृपाल और मसुरियादीन बचपन से ही एक दूसरे के पक्के दोस्त बन गए थे। दोनों का पूरा दिन साथ बीतता था। सिर्फ सोने के लिए अपने घरों को जाते थे। बचपन में जहां साथ खेलते थे। वहीं, जवानी में साथ में काम करते थे। बुढ़ापे में दोनों मंदिर और तीर्थ स्थानों पर दर्शन और पूजा पाठ करने भी एक साथ ही जाते थे। इस तरह से एक साथ रहते हुए राम कृपाल और मसुरियादीन ने जीवन के 70 साल बिता दिए थे। उम्र के आखिरी पड़ाव में दोनों दोस्त एक साथ मरने की बात करते थे।

वहीं कुछ दिनों से मसुरियादीन की तबियत खराब चल रही थी। जिस वजह से राम कृपाल रोज अपने दोस्त का हाल लेने उसके घर जाते थे। गुरुवार को दिन में मसुरियादीन की मौत हो गई, लेकिन घरवालों ने राम कृपाल को सदमा न लगे इस वजह से इसकी जानकारी तुरंत नहीं दी थी। जबकि राम कृपाल दोस्त से मिलने उसके घर पहुंच गए, लेकिन जैसे ही राम कृपाल को यह जानकारी मिली कि दोस्त की मौत हो गई है। वो विचलित हो गए और सीधे दोस्त के शव के पास गए। जहां पर राम कृपाल का चेहरा देखा और उनके शव को गले से लगाया। इसके बाद राम कृपाल ने चिल्लाते हुए भगवान से प्रार्थना की कि दोस्त के साथ ही उनको भी इस दुनिया से उठा ले। जिसके चंद पलों बाद ही राम कृपाल की सांसें भी थम गई। जिसके बाद यह सूचना राम कृपाल के घर पहुंची। तो परिजनों में कोहराम मच गया।

वहीं गांव के रहने वाले लोगों का कहना था कि दोनों ने जिस तरह से साथ में जिंदगी जी और मौत को भी गले लगाया। उसको देखते हुए दोनों दोस्तों का अंतिम संस्कार भी एक साथ किया जाए और उनकी शवयात्रा भी साथ में ही निकाली जाए लेकिन मसुरियादीन के बेटे दूसरे राज्य में रहते थे। जिस कारण राम कृपाल का अंतिम संस्कार गुरुवार को ही कर दिया गया, जबकि मसुरियादीन का अंतिम संस्कार शुक्रवार को किया गया है।

Content Writer

Tamanna Bhardwaj