हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- न्यायालय से धोखाधड़ी करने वाले किसी राहत के हकदार नहीं

punjabkesari.in Sunday, Mar 03, 2024 - 07:53 AM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग की एक प्रथा प्रचलित होने को गंभीरता से लेते हुए कहा कि बेईमान लोगों ने न्यायालय को अनिश्चितकाल तक अवैध लाभ लेने के लिए सुविधाजनक लीवर मान लिया है।



अदालत का दरवाजा खटखटाने वाला यादी मुकदमे से संबंधित सभी दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के लिए बाध्य है। अगर वह लाभ प्राप्त करने के लिए किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज को रोक देता है तो निश्चित रूप से वह न्यायालय के साथ-साथ विपक्षी के साथ भी धोखाधड़ी करने का दोषी माना जाएगा। कोर्ट ने आगे कहा कि लाफ हाथों से न्यायालय आने वाले लोगों का विश्वास उस क्षण टूट जाता है, जब यह पत्ता चलता है कि भौतिक तथ्यों को छिपाया गया है। न्यायालय ऐसे यात्रियों को कोई भी राहत देने के लिए बाध्य नहीं है जो अवैध लाभ कमाने और धोखाधड़ी के उद्देश्य से मुकदमेबाजी में शामिल होते हैं। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति शेखर बी सर्राफ ने मैसर्स जीनियस ऑर्थो इंडस्ट्रीज की याचिका को खारिज करते हुए की।



याची ने संयुक्त आयुक्त सीजीएसटी (अपील), मेरठ द्वारा अपना जीएसटी पंजीकरण रद्द करने के 27 फरवरी 2023 के आदेश से व्यथित होकर वर्तमान याचिका दाखिल की थी। याची का पंजीकरण इस आधार पर रद्द कर दिया गया था कि भौतिक सत्यापन के दौरान अधिकारियों ने यह पाया कि उक्त परिसर में कोई व्यावसायिक गतिविधि संचालित नहीं हो रही थी। याची को कई बार फोन किया, लेकिन उसका फोन बंद था। विभाग द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसका साची ने जवाब दिया, लेकिन इसके बाद उसका पंजीकरण रह करने का आदेश पारित कर दिया गया।

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Ajay kumar