झांसी: हजारों लोगों ने मकरसंक्रांति पर नदियों में लगाई आस्था की डुबकी, मंदिर में की पूजा अर्चना

punjabkesari.in Thursday, Jan 14, 2021 - 05:56 PM (IST)

झांसी: सूर्य के उत्तरायण होने या धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश के दिन मकर संक्रांति'' के पावन पर्व पर गुरूवार को उत्तर प्रदेश में झांसी के निकट सूर्यदेव के मंदिर और आस पास सकी नदियों में हजारों लोगों ने श्रद्धाभावन से स्नान और दान पुण्य किया। जिला मुख्यालय से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सूर्य मंदिर विख्यात है और यहां आम दिनों में भी लोग पूजा अर्चना और विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति की आस लेकर आते हैं लेकिन मकर संक्रांति पर इसका बहुत अधिक विशेष महत्व हो जाता है । यहां बड़ी संख्या में लोग स्नान और भगवान भास्कर की पूजा अर्चना के लिए आते हैं। इस बार कोविड काल के बावजूद आज पहूंज नदी के किनारे स्थित मंदिर पर हजारों लोगों का जमावड़ा लगा। लोगों ने नदी में स्नान कर सूर्यदेव को अग्र्य देकर पूजा अर्चना की। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि मकर संक्रांति को यहां आने से कई गंभीर बीमारियां दूर हो जाती है। नदी में एक कुंड है इसी कुंड में संक्रांति के दिन स्नान से असाध्य रोग भी ठीक हो जाने की मान्यता है, इस कारण आज के दिन बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं।
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लोगों की यह भी मान्यता है कि जो दंपति नि:संतान होते हैं, वह यहां आकर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह में स्थित भगवान की मूर्ति पर पड़ते ही दर्शन करते हैं तो उनको संतान की प्रप्ति होती है। मंदिर की यही विशेषता है कि सूर्योदय के साथ पहली किरण सीधे मंदिर के गर्भगृह में स्थित भगवान की मूर्ति पर पड़ती है। असाध्य रोगों के ठीक होने और संतान प्राप्ति की मनोकामना के साथ लोग यहां श्रद्धाभाव से दर्शनार्थ आते हैं। मकर संक्रांति पर लोगों की संख्या बहुत अधिक रहती है और ऐसा आज भी हुआ। इसके अलावा झांसी के निकट ओरछा में बुंदेलखंड की गंगा कही जाने वाली बेतवा नदी में बड़ी संख्या में लोगों ने श्रद्धापूर्वक डुबकी लगायी और इसके बाद पूजा अर्चना कर दान पुण्य किया। 
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जानकार बताते है कि मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व है। घरों में लोगों ने तिल और गुड से बने लड्डू, बर्फी और कतली आदि बनायी जाती है। बुंदेलखंड में खिचड़ी के दान के साथ सभी मौसमी सब्जियों के साथ तिल के बने पकवान भी दान किये जाते हैं। यहां घर के बुजुर्गों और बच्चों को तिल और लाई तथा फूले के लड्डू दिये जाने की परंपरा है।  इस दिन बच्चे और बड़े पतंगबाजी में भी हाथ आजमाते हैं इसलिए बाजार एक ओर तिल तथा तिल से बने खाने पीने के सामान के साथ विभिन्न काटूर्नों के किरदारों वाली पतंगों से भी सजे नजर आये। बड़े तथा बच्चे पतंगबाजी का लुत्फ उठाते दिखायी दिये। 


 


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Ramkesh

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