इंसानों पर हमले के आदी बाघों और तेंदुओं को अब अभयारण्य के सुधार गृहों में रखा जाएगा

punjabkesari.in Sunday, Jun 06, 2021 - 12:31 PM (IST)

बरेली: पीलीभीत जिले के बाघ अभयारण्य से सटे गांवों में इंसानों पर हमले के आदी हो चुके बाघों और तेंदुओं को सुधार गृह (रिवाइल्डिंग केंद्र) में रखा जायेगा। इंसानी आबादी वाले इलाकों में पकड़े जाने वाले बाघों और तेंदुओं को अभी तक चिड़ियाघर भेजा जाता था, मगर अब उन्हें पकड़कर सुधार गृह में रखा जाएगा।

बरेली के मुख्य वन संरक्षक ललित वर्मा ने रविवार को बताया कि अक्सर बाघ और तेंदुए अपने कुदरती ठिकानों से बाहर निकल कर जंगल के किनारे बसे गांवों में आबादी के बीच पहुंच जाते हैं और वहां मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति बन जाती है, जिसमें कई बार लोगों की जान चली जाती है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 से 2020 तक बाघों और तेंदुओं के हमलों में कुल 31 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 16 लोगों की मौत तो वर्ष 2017 में ही हुई थी। वर्मा ने बताया कि ऐसा कहा जाता है कि इन जंगली जानवरों को मानव का खून स्वादिष्ट लगता है और एक बार इंसान का शिकार करने के बाद वे बार-बार उन पर हमला करते हैं। शुरू में इस तरह के जानवरों को पकड़े जाने के बाद उन्हें सुधार के लिए चिड़ियाघर भेजा जाता था, लेकिन अब उन्हें पीलीभीत बाघ अभयारण्य के अंदर ही बनने वाले सुधार गृहों में भेजा जाएगा। मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि यह सुधार गृह जंगल के अंदर एक किस्म का विशाल बाड़ा होगा, जिसमें चीतल, नीलगाय और जंगली सूअर आदि भी रहेंगे। इसमें छोड़े गए बाघ एवं तेंदुए इन्हीं शाकाहारी जीवों का शिकार करेंगे और धीरे-धीरे मानव रक्त का स्वाद भूल जायेंगे। जो बाघ या तेंदुआ बार-बार जंगल से निकलकर आबादी की ओर रुख करेगा, उसे बेहोश करके सुधार गृह पहुंचा दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 से 2020 तक कुल आठ बाघों और तेंदुओं को पकड़कर विभिन्न चिड़ियाघरों में भेजा गया है। इनमें से तीन को लखनऊ चिड़ियाघर, इतने ही जानवरों को कानपुर चिड़ियाघर तथा एक-एक को कतरनियाघाट और दुधवा भेजा गया है। वर्मा ने बताया कि बाघ अभयारण्य में सुधार गृह बनाने का प्रस्ताव प्रशासन को मंजूरी को भेजा गया है। बाकी सभी औपचारिकताएं पूरी हो गयी हैं। इसके लिए जमीन भी तय हो चुकी है और बहुत जल्द शासन से मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

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Umakant yadav