आज काशी घाट पर धूमधाम से मनाई जाएगी देव दीपावली

punjabkesari.in Wednesday, Nov 25, 2015 - 07:13 PM (IST)

वाराणसी(विपिन मिश्रा): दीपावली के ठीक 14 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा को वाराणसी में धूमधाम से देव दीपावली मनाई जाती है। इस बार 25 नवंबर को यानि आज देव दीपावली मनाई जा रही है। पिछले साल भी देव दीपावली के मौके पर पूरी काशी नगरी को दीयों की जगमगाहट से रोशन कर दिया गया था। काशी के सभी घाटों को दुल्हन की तरह सजाया गया था। इस बार भी ठीक उसी तरह  84 घाटों पर दीयों की लडिय़ां सजाई गई हैं। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था मानो तारे आसमान छोड़कर धरती पर उतर आए हों। भव्य गंगा आरती का भी आयोजन किया गया था। देव दीपावली देखने के लिए दूर-दूर से लोग वाराणसी आते हैं। 
 
दशाश्वमेध घाट पर देव दीपावली के दिन पर्यटकों का जमावड़ा लगता है। पिछले साल शाम छह बजे से घाटों पर मंत्रोच्चार शुरू हो गया था। हर घाट की फूलों और इलेक्ट्रॉनिक लाइटों से आकर्षक सजावट की गई थी। वीवीआईपी मेहमानों के लिए अलग से इंतजाम किए गए थे। इसके अलावा शानदार आतिशबाजी का नजारा भी दिखा था। भीड़ को देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।
 
शंखनाद के बाद शुरू होती है महाआरती
पिछले साल देव दीपावली पर शंखनाद के बाद महाआरती शुरू हुई थी। आरती के बाद 51 लाख दीए जलाए गए थे। इस आरती को देखने के लिए गिरिजा देवी, बिरजू महाराज और राजन-साजन पहुंचे थे। इसके अलावा उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला भी अपने परिवार के साथ मौजूद रहे थे। जया बच्चन भी आरती देखने आने वाली थीं, लेकिन आखिरी वक्त पर उनका कार्यक्रम रद्द हो गया था।
 
झांकियां बनीं लोगों में आकर्षण का केंद्र
देव दिवाली के इस मौके पर काशी के दशाश्वमेध घाट पर दिल्ली स्थित इंडिया गेट और अमर जवान ज्योति की झाकियां भी लगाई गई हैं जो लोगों को खासा आकर्षित कर रही हैं। 

इसलिए मनाई जाती है देव दीपावली
महंत देव्या गिरी के अनुसार भगवान शंकर ने देवताओं की प्रार्थना पर महाबलशाली दैत्य त्रिपुरासुर का वध किया था। उसी के उल्लास में यह पर्व देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है। एसी मान्यता है कि देव दीपावली पर देवता नदी तटों पर आते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि से पहले कार्तिक के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानि देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। ये भी माना जाता है कि दीपावली पर महालक्ष्मी अपने स्वामी भगवान विष्णु से पहले जाग जाती हैं, इसलिए दीपावली के 15 दिन बाद देवताओं की दीपावली मनाई जाती है। इसे ही आगे चलकर देव दीपावली ने नाम से जाना गया।