‘चिप्स’ की खातिर बलि चढ़ रहे कछुए, लाखों में बिकता है सूप

punjabkesari.in Tuesday, Apr 10, 2018 - 02:43 PM (IST)

इटावा: चंबल की सुरम्य वादियों के बीच कलकल बहती चंबल नदी में विचरते विशेष प्रजाति के कछुए ‘चिप्स’ की खातिर शिकारियों की निगाह में चढ़े हुए हैं। भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के संरक्षण अधिकारी डा.राजीव चौहान का कहना है कि असल मे कछुए की चिप्स से बनने वाले सूप से इसको इस्तेमाल करने वाले के शरीर में शारीरिक क्षमता का खासी तादात मे इजाफा होता है। सूप के इस्तेमाल के बाद सेक्स पॉवर बढ़ जाती है इसलिए कछुए के चिप्स का सूप सामान्य थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर मे 1 लाख से 2 लाख रूपए में उपलब्ध होता है। इन दोनों में सूप के लिए इस्तेमाल किए जाने के इरादे से ही कछुओं की चिप्स को बड़े पैमाने पर तस्करी करने का भी काम बदस्तूर जारी है।

जिंदा हालत में कछुओं की तस्करी करना बेहद खतरनाक और मुश्किल भरा मान कर के चला जाता रहा है क्योंकि जिंदा हालत में कछुओं को ले जाना पुलिस के अलावा अन्य एजेंसियों के जरिए भी पकड़े जाने का खतरा बना रहता था लेकिन अब कछुआ तस्करों ने कछुओं की चिप्स बनाकर के इसकी तस्करी का एक नया रास्ता निकाला है । उन्होंने बताया कि आगरा के पिनहाट और इटावा के ज्ञानपुरी और बंसरी में 2 जाति ऐसी हैं जो कछुए के चिप्स बनाने का काम करती हैं। कछुए की निचली सतह जिसे प्लैस्ट्रॉन कहते हैं, को काटकर अलग कर लेते हैं। उसे कई घंटे तक पानी में उबाला जाता है। उसके बाद इस परत को सुखाकर उसके चिप्स बनाए जाते है। एक किलो वजन के कछुए में 250 ग्राम तक चिप्स बन जाते हैं। निलसोनिया गैंगटिस और चित्रा इंडिका नामक कछुए की प्रजाति से प्लैस्ट्रॉन निकाली जाती है। इटावा की नदियों और तालाब में 11 प्रजाति के कुछए पाए लेकिन चिप्स निलसोनिया गैंगटिस और चित्रा इंडिका से ही निकाली जाती है।

इटावा के वन रेंज अफसर एनएस यादव का कहना है कि चंबल आदि नदियों से कछुए की चिप्स निकालने का काम करने में कछुआ तस्कर जुटे हुए हैं। ऐसी खबरे उनके गुप्तचरों के माध्यम से आ रही है। कछुए की चिप्स को निकालने वाले कछुए तस्करों को पकड़ंने के लिए वन अमले की टीमों को सक्रिय कर दिया गया है। डा. चौहान बताते हैं कि 1979 में सरकार ने कछुओं सहित दूसरे जलचरों को को बचाने के लिए चम्बल से लगे 425 किमी में फैले तटीय क्षेत्र को राष्ट्रीय चंबल सेंचूरी घोषित कर दिया था । बावजूद इसके 1980 से अब तक 85 हजार कछुए बरामद किए जा चुके हैं। 100 तस्कर पकड़े गए हैं। 24 तस्कर तो पिछले तीन साल में ही पकड़े जा चुके हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब इतने पकड़े गए हैं तो कितने हजार कछुओं की तस्करी हो चुकी होगी। अब से काफी पहले जिंदा कछुओं की तस्करी चंबल इलाके से पश्चिम बंगाल के लिए की जाती थी।

यदाकदा पश्चिम बंगाल से आए हुए तस्करों की यहां पर गिरफ्तारी होती थी लेकिन स्थानीय कछुआ तस्करों की गिरफ्तारी बड़े पैमाने पर होती रही है। इटावा के एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी का कहना है कि कछुओं को काट कर उनकी चिप्स बना कर तस्करी करने के मामले में यूपी की स्पेशल टास्क फोर्स के एएसपी अरविंद चतुर्वेदी की अगुवाई मे प्रदेश भर मे सधन अभियान चलाया जा रहा है इस अभियान मे खासी कामयाबी मिलने के साथ साथ कछुओं की तस्करी के बारे मे कई अहम जानकारियां सामने आती हुई दिख रही है।

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