ट्विन टावर मामले में योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई, नियोजन प्रबंधक मुकेश गोयल निलंबित

punjabkesari.in Thursday, Sep 02, 2021 - 10:06 AM (IST)

लखनऊ/नोएडा: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा के सुपरटेक एमरॉल्ड द्वारा अवैध रूप से ट्विन टावर बनाए जाने के मामले में शासन स्तर से विशेष समिति गठित कर प्रकरण की गहराई से जांच करने और हर दोषी अधिकारी के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करने के आदेश देने के बाद कार्रवाई का दौर शुरू हो गया है। इसी बीच उच्चतम न्यायालय में प्राधिकरण की ओर से पैरवी की जिम्मेदारी संभाल रहे नोएडा के तत्कालीन नियोजन प्रबंधक मुकेश गोयल उच्च अधिकारियों से तथ्य छिपाने के दोषी पाए गए हैं। जिसके बाद शासन ने वर्तमान में इसी पद पर गीडा में तैनात गोएल को निलंबित कर दिया है।

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद सुपरटेक एमरॉल्ड में जांच कमेटी गठित कर दी गई है। वहीं इस प्रकरण में पूर्व में सुनवाई के समय समस्त तथ्यों से उच्चाधिकारियों को अवगत नहीं कराए जाने के कारण नियोजन विभाग के दोषी कर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है। नोएडा के सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट मामले में बिल्डर के साथ मिलीभगत करने वाले और भी अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। मुख्यमंत्री ने मामले में नोएडा विकास प्राधिकरण सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिका की गहन जांच के निर्देश दिए हैं।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बुधवार को बताया कि मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में कहा "नोएडा के सुपरटेक एमरल्ड कोर्ट बिल्डर के मामले में शीर्ष अदालत के आदेशों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए।" योगी ने कहा "शासन स्तर से विशेष जांच समिति गठित कर इस प्रकरण की गहन जांच कराई जानी चाहिए। एक-एक दोषी अधिकारी के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। आवश्यकतानुसार आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाए। इस संबंध में तत्काल कार्यवाही की जाए।" बुधवार को उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘2004 से 2012 के बीच अलग-अलग समय पर प्रोजेक्ट को अनुमति दी जाती रही, जिसमें तत्कालीन अधिकारियों-कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका पाई जा गई है।''

उच्चतम न्यायालय के ताजा आदेश का अक्षरशः अनुपालन कराये जाने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि आम आदमी के हितों से खिलवाड़ करने वाला एक भी दोषी न बचे इसके लिए एक विशेष समिति गठित कर जांच कराई जाए। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद जांच कमेटी गठित कर दी गई है। वहीं, इस प्रकरण में पूर्व में सुनवाई के समय समस्त तथ्यों से उच्चाधिकारियों को अवगत नहीं कराए जाने के कारण नियोजन विभाग के दोषी कर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है।

गौरतलब है कि मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने नोएडा के सेक्टर 93 में सुपरटेक एमेरल्ड कोर्ट हाउसिंग परियोजना के तहत नियमों का उल्लंघन कर बनाए गए ट्विन टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत में ट्विन टावर को तीन महीने के अंदर जमींदोज करने का आदेश देते हुए कहा कि जिला स्तरीय अधिकारियों की सांठगांठ से किए गए इस इमारत के निर्माण के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी ताकि नियम कायदों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके। इससे पहले, बीते मंगलवार को स्थानीय निवासियों की याचिका पर निर्णय देते हुए उच्चतम न्यायालय ने सुपरटेक के ट्विन टॉवर्स को गिराये जाने के आदेश दिए, सुपरटेक के यह दोनों ही टावर 40-40 मंजिला है। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह टावर नोएडा अथॉरिटी और सुपटेक की मिलीभगत से बने थे।

अदालत ने आदेश में साफ कहा है कि सुपरटेक अपने ही पैसों से इनको तीन महीने के अंदर-अंदर तोड़े साथ ही खरीददारों की रकम ब्याज समेत लौटाए। अदालत ने कहा था कि यह टॉवर्स नियमों की अनदेखी करके बनने दिए गए। अदालत ने कहा कि जिन भी लोगों ने इन सुपरटेक ट्विन टॉवर्स में फ्लैट लिए थे उनको 12 फीसदी ब्याज के साथ रकम लौटाई जाएगी। अदालत के आदेशानुसार टावर गिराने का खर्च सुपरटेक वहन करेगा जबकि यह कार्य सेंट्रल बिल्डिंग रिचर्स इंस्टिट्यूट के समग्र पर्यवेक्षण में किया जाएगा। गैरतलब है कि 40-40 मंजिला इन सुपरटेक के टॉवर्स में 1-1 हजार फ्लैट्स हैं। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि प्रकरण लगभग 10 वर्ष पुराना है। ग्रुप हाउसिंग भूखंड संख्या-जीएच-04, सेक्टर-93 ए, नोएडा का आवंटन एवं मानचित्र स्वीकृति का प्रकरण वर्ष 2004 से वर्ष 2012 के मध्य का है। भूखंड का कुल क्षेत्रफल 54815.00 वर्ग मीटर है। इस पर मानचित्र स्वीकृति समय-समय पर वर्ष 2005, 2006, 2009 तथा 2012 में प्रदान की गई।

उन्होंने बताया कि 2012 को संदर्भित योजना की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में रिट याचिका दायर की गई, जिसमें उनके द्वारा मुख्य बिन्दु यह उठाया गया कि नेशनल बिल्डिंग कोड-2005 तथा नोएडा भवन विनियमावली-2010 में दिए गए प्राविधानों के विपरीत टॉवर संख्या- टी -01 तथा टी-17 के बीच न्यूनतम दूरी नही छोड़ी गई है तथा वहां रहने वाले निवासियों से सहमति प्राप्त नहीं की गयी है। प्रवक्ता के मुताबिक अप्रैल 2014 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने टावर संख्या- टी-16 व टी-17 को ध्वस्त किये जाने के साथ-साथ बिल्डर व प्राधिकरण के तत्कालीन दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही किये जाने के आदेश दिए थे ।उन्होंने कहा कि यह सभी जनकल्याणकारी योजनाएं प्रत्यक्ष उदाहरण है कि संगठन व सरकार सबका साथ-सबका विकास के मूलमंत्र के साथ सिफर् जनकल्याण के एजेण्डे पर प्रदेश की 24 करोड़ जनता के लिए बिना किसी भेदभाव के काम कर रही है।


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Content Writer

Umakant yadav

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