शिवपाल यादव के रुख से प्रसपा नेता परेशान, सपा में विलय के दौरान अपनी हैसियत को लेकर बेचैन
punjabkesari.in Thursday, Nov 24, 2022 - 01:56 PM (IST)
लखनऊ (अश्वनी सिंह) : साल 2016 का अंतिम महीना चल रहा था। उस वक्त के सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव व सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव 2017 में प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सपा संगठन का चुनाव कराना चाहते थे। उस वक्त चर्चा ये थी कि शिवपाल सिंह यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया जाए और अखिलेश मुख्यमंत्री बनी रहे। जब इस बात की भनक अखिलेश यादव को लगी तो उन्होंने अपने ही पिता की बनाई पार्टी में बगावत कर दी और लखनऊ के रमाबाई मैदान में सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन आहूत कर पिता मुलायम सिंह यादव को पार्टी संरक्षक, खुद को पार्टी अध्यक्ष व नरेश उत्तम पटेल को यूपी सपा का अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद उन्होंने अपने चाचा व सरकार में नंबर दो की भूमिका रखने वाले तत्कालीन पी डब्लू डी मिनिस्टर शिवपाल सिंह यादव को न सिर्फ अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया बल्कि पार्टी से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। जिसके बाद शिवपाल सिंह यादव ने अपने समर्थक सपा नेताओं व विधायकों व मंत्रियों के साथ अपनी अलग पार्टी बनाई व विधानसभा चुनाव में सपा के खिलाफ चुनाव लड़ा।
नेताजी के निधन के बाद करीब आए चाचा-भतीजा
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हो रहे मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा के साथ आकर अपना रुख साफ कर दिया है कि अब वह फिर से सपा के साथ है। उनके इस रुख से एक तरफ जहां प्रसपा नेताओं में कहीं खुशी तो वहीं दूसरी तरफ उनकी बेचैनी भी साफ नजर आ रही है। बेचैन रहने वाले नेता अपने भविष्य को लेकर फिक्रमंद है। जब 2017 में सपा से अलग होकर शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी प्रसपा बनाई थी। उस समय सपा के तमाम कद्दावर नेता प्रसपा के साथ हो लिए। इसके बाद जब 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान सपा- प्रसपा का गठबंधन हुआ तो उन्हें विधानसभा चुनाव के दौरान शिवपाल सिंह यादव के आश्वासन के बाद भी जब सपा का टिकट नहीं मिला तो कई नेता अलग-अलग राह पर चले गए। जिसमें पूर्व मंत्री शादाब फातिमा ने बसपा का दामन थाम लिया तो वही कई नेता भाजपा में चले गए।
सपा से बगावत कर प्रसपा के साथ जाने वाले नेता परेशान
इस साल विधानसभा चुनाव के बाद शिवपाल यादव ने नए तेवर के साथ प्रसपा का पुनर्गठन किया और बेटे आदित्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। इसी बीच यदुकुल पुनर्जागरण के जरिए शिवपाल सिंह यादव ने सपा के बागीयों के साथ मिलकर सपा के खिलाफ मोर्चा खोलने का संदेश दिया। अब मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में उन्होंने फिर से खुद को अखिलेश यादव के साथ जोड़ने जैसा बयान दिया। शिवपाल यादव का कहना है कि नेताजी को कभी निराश नहीं किया है। अब अखिलेश को भी निराश नहीं करूंगा। उनके इस बयान से पार्टी के नेताओं में हलचल पैदा कर दी है। कुछ नेता इस बात से खुश है कि वह अब सपा के साथ रहकर भविष्य में सियासत कर सकते हैं। वहीं वह नेता जो शिवपाल के साथ निरंतर कंधे से कंधा मिलाकर चलते रहे है कि अगर शिवपाल अपनी पार्टी का विलय सपा में करते है तो सपा में उनका वजूद क्या होगा ?