यूपीः कूड़े की टाेकरी छू जाने पर गर्भवती दलित महिला काे पीट पीटकर मार डाला

punjabkesari.in Thursday, Oct 26, 2017 - 02:08 PM (IST)

लखनऊः आजादी के 70 साल बाद भी छूआछूत का कलंक खत्म हाेने के नाम ही नहीं ले रहा है। जिसकी वजह से आज भी दलिताें काे माैत के घाट उतार दिया जा रहा है। एेसा ही एक दिल दहला देने वाला मामला लखनऊ जिले में सामने आया है। जहां एक गर्भवती दलित महिला काे दूसरी बिरादरी के कुछ लाेगाें द्वारा माैत के घाट उतार दिया गया। महिला का कुसूर सिर्फ इतना था कि उसके कूड़े की टाेकरी इन लाेगाें काे छू गई थी।

गलती से छू गई थी टोकरी
दरअसल मामला खेतलपुर भंसोली गांव का है, जहां गांव में कूड़ा बीनने वाली महिला सावित्री जब 15 अक्टूबर को सुबह 9 बजे कूड़ा बीन रही थी, इस दौरान वहां से गुजर रहे एक रिक्शे से टकराने की वजह से उसने अपना संतुलन खो दिया। जिसकी वजह से उसने एक ठाकुर परिवार से टोकरी छू गई। जैसे ही कूड़ा बीनने वाली महिला सावित्री की टोकरी अंजू से छू गई तो उसने गालियां देनी शुरू कर दी।

गर्भवती के पेट में मारे मुक्केे 
इतना ही नहीं उस क्रूर महिला ने 8 महिने की गर्भवती महिला के पेट में मुक्के मारने शुरू कर दिए। इतने में उसका दिल नहीं भरा तो महिला का सिर दीवार में पटकने लगी। हद तो तब हो गई जब महिला ने क्रूरता की सारी हदें लांघ कर गर्भवती को डंडों से पीटने लगी। जिससे सावित्री की हालत बेहद गंभीर हो गई।

बेटे ने भी खूब डंडो से पीटा 
जिसके बाद अंजू का बेटा रोहित भी सावित्री की डंडे से पिटाई करने लगा। सावित्री की पड़ोसी कुसुम देवी मौके पर मौजूद थी, उसने बताया कि इन लोगों ने उसे बुरी तरह से पीटा था। सावित्री की 9 साल की बेटी भी साथ थी। जो दौड़ती हुई दलित बस्ती में आई और मदद की गुहार लगाई। जिसके चलते 6 दिन बाद सावित्री और उनका बच्चा जोकि गर्भ में था मर गया।

पति की नहीं हुई कोई सुनवाई 
इस मामले में सावित्री के पति दिलीप कुमार ने बताया कि मैं उसे अस्पताल लेकर गया लेकिन लोगों ने उसे देखने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सावित्री की तबियत ठीक है, लेकिन वह लगातार सिर में दर्द की शिकायत करती रही। इसके बाद मैं अंजू के घर गया और पूछा कि आखिर उन लोगों ने सावित्री को क्यूं पीटा, लेकिन इन लोगों ने मुझे गाली दी और धमकी दी। इसके बाद मैं 18 अक्टूबर को कोतवाली गया और पुलिस से इसकी शिकायत की। लेकिन वहां पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

क्या कहते हैं एसएचओ?
दूसरी तरफ एसएचओ तापेश्वर सागर का कहना है कि जब दिलीप उनके पास आया था, उस दिन उसकी पत्नी भी साथ थी, हमने महिला का मेडिकल टेस्ट कराया। इस टेस्ट में सामने आया कि महिला को कोई चोट नहीं है, जिस वजह से हमने शिकायत दर्ज नहीं की थी। इसके बाद महिला की मौत हो गई। इसके बाद गांव के चश्मदीदों से मुलाकात की तो हमे पता चला कि सावित्री के साथ बहुत मारपीट हुई थी। वहीं पोर्टमार्टम में भी यह बात सामने आई कि महिला के सिर में गंभीर चोट आने से उसकी मौत हुई है। और पूरी तरह से विकसित बच्चा भी गर्भ में मर गया था। इसके बाद पुलिस ने धारा 323 के तहत मामला दर्ज कर लिया है और आरोपियों की जांच में जुट गई है।