UP Assembly Election 2022: नई पीढ़ी की साख दांव पर, इनके रणनीतिक कौशल की होगी परीक्षा

punjabkesari.in Friday, Aug 13, 2021 - 02:48 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कांग्रेस का युवा चेहरा प्रियंका गांधी वाड्रा और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के रणनीतिक कौशल की परीक्षा होगी। इस विधानसभा चुनाव में यह चारों चेहरे अपने-अपने दल के सेनापति बनकर मैदान में उतरेंगे।


चुनावों में प्रचंड बहुमत हासिल कर रही BJP आत्मविश्वास से लैस
विधानसभा चुनाव 2022 में राजनीतिक दल ही नहीं, बल्कि देश और प्रदेश की राजनीति पर प्रभाव डालने वाली नई सियासी पीढ़ी की साख भी दांव पर होगी। यह चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, प्रियंका वाड्रा तथा जयंत चौधरी के रणनीतिक कौशल की बड़ी परीक्षा लेने जा रहे हैं। ऊर्जा और जुनून से चमकते लगभग हमउम्र यह नौजवान नेता इस बार अपने-अपने दल के सेनापति के रूप में मैदान में होंगे। योगी आदित्यनाथ के सामने बुलंद भगवा झंडा थामे रखने के साथ ही प्रतिद्वंद्वियों के सामने पार्टी का अस्तित्व बचाने की चुनौती है। विधानसभा चुनाव इस बार बेहद दिलचस्प होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है। लगातार चुनावों में प्रचंड बहुमत हासिल कर रही भाजपा आत्मविश्वास से लैस है, जबकि सपा, बसपा और कांग्रेस जातिगत गणित बिठाने में लगी हैं।


बसपा को छोड़ सभी पार्टियों के झंडाबरदार नई पीढ़ी का नेतृत्व करते हैं
गठबंधन की खुली घोषणा अभी किसी ने नहीं की, लेकिन छोटे-छोटे दलों को जोड़ने की जुगत के बीच एक-दो बड़े दल फिर साथ आ जाएं तो उससे भी इन्कार नहीं किया जा सकता। प्रदेश में हर दल का अपना संगठन है, जिसे मजबूत करने में वह जुटे हैं। दिलचस्प यह है कि प्रमुख दलों में सिर्फ बसपा को छोड़कर बाकी सभी पार्टियों के झंडाबरदार नई पीढ़ी का नेतृत्व करते हैं।


योगी के कंधे पर 2022 में जीत को दोहराने की जिम्मेदारी
बात सत्ताधारी दल से ही शुरू करते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित नहीं किया था। प्रचंड बहुमत मिलने के बाद गोरखपुर के पांच बार सांसद रहे योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। साढ़े चार वर्ष तक योगी ने अपने अंदाज में काम किया। डेढ़ वर्ष की कोरोना आपदा के बावजूद कई क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल कीं। यही वजह है कि भाजपा उन्हीं के चेहरे पर 2022 में चुनाव लड़ने जा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा 403 में से 312 सीटें जीती। अब जीत को दोहराने की जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ के कंधों पर है।


अभी तक मुलायम सिंह के नेतृत्व में ही सपा ने हासिल की सत्ता
जगजाहिर है कि मुलायम सिंह यादव की मेहनत से ही समाजवादी पार्टी सत्ता हासिल करती रही। 2012 का विधानसभा चुनाव भी पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम के नेतृत्व में ही लड़ा गया। बहुमत पर उन्होंने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री की गद्दी सौंप दी। इसके बाद पार्टी और परिवार में आंतरिक मतभेद हुए और अखिलेश ने बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी की बागडोर अपने हाथ में ले ली। 2017 का विधानसभा चुनाव वह कांग्रेस तो 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा के साथ गठबंधन कर लड़े। दोनों बार निराशा हाथ लगी। अब बसपा जैसी सोशल इंजीनियरिंग के साथ ब्राह्मणों को जोड़ने की रणनीति के साथ अखिलेश मैदान में हैं। देखना होगा कि 2017 में मात्र 47 सीट जीतने वाली सपा अब 400 सीटें जीतने का दावा कर कहां तक पहुंचती है।


UP में 3 दशक से सत्ता से बेदखल कांग्रेस का नेतृत्व करेंगी प्रियंका
प्रदेश में तीन दशक से सत्ता से बेदखल कांग्रेस के लिए उम्मीद बनकर प्रियंका गांधी वाड्रा सूबे की सियासत में सक्रिय हैं। वह पहले चुनाव प्रचार में आती रहती थीं, लेकिन पहली बार प्रियंका ने उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी प्रभारी के तौर पर संभाली है। 2017 में उनकी पार्टी मात्र सात सीटें जीत सकी तो 2019 के लोकसभा चुनाव में एक ही सीट पर सिमट गई। प्रदेश में सक्रिय प्रियंका वाड्रा ने संगठन को अपने हिसाब से तैयार किया है। ऐसे में उनकी साख खास तौर पर दांव पर है।


रालोद अध्यक्ष जयंत चैधरी को करनी है नई पारी की शुरूआत
चौधरी अजित सिंह के हाल ही में निधन के बाद राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष के रूप में उनके बेटे जयंत चैधरी को अपनी नई पारी शुरू करनी है। पिछले चुनाव में एक सीट जीतने वाला यह दल इससे अधिक जितनी सीट पाए, वही बढ़त होगी।

Content Writer

Umakant yadav