BJP विधायक को बड़ी राहत: साम्प्रदायिक भावनाएं भड़काने के मामले में विक्रम सैनी बरी

punjabkesari.in Wednesday, Oct 12, 2022 - 09:37 PM (IST)

मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े एक मामले में मंगलवार को सजा पाये खतौली क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक विक्रम सैनी को दंगों से पहले के एक मामले में बुधवार को विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने बरी कर दिया। विशेष न्यायाधीश मयंक जायसवाल ने सैनी को सुबूतों के अभाव में दोषमुक्त करार दिया। अभियोजन अधिकारी नीरज सिंह ने बताया कि पुलिस ने सैनी के खिलाफ जानसठ थाना क्षेत्र के कवाल गांव में साम्प्रदायिक भावनाएं भड़काने के मामले में भारतीय दण्ड विधान की धारा 153 क (धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच वैमनस्य फैलाना) और 295 (धर्मस्थल को नुकसान पहुंचाना) के तहत 21 फरवरी 2013 को मुकदमा दर्ज किया था।

गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर में वर्ष 2013 में हुए साम्प्रदायिक दंगों की जड़ कहे जाने वाले कवाल कांड मामले में विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने मंगलवार को भाजपा विधायक विक्रम सैनी तथा 11 अन्य को दोषी करार देते हुए दो-दो साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनायी थी, हालांकि सभी को निजी मुचलके पर रिहा भी कर दिया गया था। विशेष एमपी/एमएलए अदालत के न्यायाधीश गोपाल उपाध्याय ने खतौली क्षेत्र से भाजपा विधायक विक्रम सैनी तथा 11 अन्य अभियुक्तों को भारतीय दण्ड विधान की धारा 336 (जीवन को खतरा पैदा करने), 353 (सरकारी काम में बाधा डालने के लिये आपराधिक हमला), 147 (दंगा करना), 148 (घातक शस्त्रों से दंगा फैलाना), 149 (गैरकानूनी रूप से भीड़ जमा करना) तथा आपराधिक विधि संशोधन अधिनियम की धारा सात के तहत दोषी करार देते हुए दो—दो साल की कैद तथा 10—10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी।

कवाल गांव में 2013 में छेड़खानी के एक मामले में दो युवकों की हत्या
अदालत ने मामले के 15 अभियुक्तों को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। हालांकि सजा सुनाये जाने के बाद भाजपा विधायक तथा अन्य दोषी लोगों को 25-25 हजार रुपये के दो मुचलकों पर रिहा कर दिया गया। हालांकि जमानत मिलने से पहले इन सभी को कई घंटों तक न्यायिक हिरासत में रखा गया। जमानत मिलने के बाद अब वे अपनी सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील कर सकेंगे। भाजपा विधायक विक्रम सैनी तथा 26 अन्य के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगों की मुख्य वजह माने जाने वाले कवाल कांड मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। कवाल गांव में अगस्त 2013 में छेड़खानी के एक मामले में गौरव और सचिन तथा शाहनवाज नामक युवकों की हत्या की गयी थी।

मुजफ्फरनगर दंगा में  60 लोगों की हुई थी मौत
इस घटना ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया था। गौरव और सचिन का अंतिम संस्कार करके लौट रही भीड़ ने हिंसक रुख अख्तियार करते हुए कई मकानों को आग लगा दी थी और इस मामले में सैनी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गयी थी। कवाल कांड के बाद सितम्बर 2013 में मुजफ्फनगर और आसपास के कुछ जिलों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिनमें कम से कम 60 लोग मारे गये थे तथा 40 हजार अन्य लोगों को अपना घर-बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा था।


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Content Writer

Mamta Yadav

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