UP: सात विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रचार तेज, 88 उम्मीदवार मैदान में

punjabkesari.in Tuesday, Oct 20, 2020 - 05:32 PM (IST)

लखनऊः नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद उत्तर प्रदेश में सात विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए सभी दलों ने प्रचार तेज कर दिया है। इन सात सीटों पर तीन नवंबर को मतदान होगा जबकि दस नवंबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे। इस उपचुनाव को वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है।       

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले कुछ दिनों से कई वर्चुअल रैलियों को संबोधित कर चुके है। इस उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा प्रचार के माध्यम से सभी पाटिर्यों को पीछे छोड़ चुकी है। हालांकि केंद्रीय मंत्रियों या वरिष्ठ भाजपा नेताओं के बिहार चुनाव में व्यस्तता के कारण उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार करने की उम्मीद नहीं है। राज्य भाजपा नेतृत्व मतदाताओं को लुभाने में लगा है। नेता जनता की तब्ज टटोल रहे है। राज्य के मंत्रियों को इन सात विधानसभाओं में प्रचार करने के लिए कहा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन सात विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था, जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह चुनावी सभाओं में भाग ले रहे है। दूसरी ओर, विपक्ष, समाजवादी पार्टी , कांग्रेस और बहुजन समाज पाटर्ी इन सीटों पर प्रचार करने के लिए अपने स्थानीय और राज्य के नेताओं पर भरोसा कर रहे हैं।       

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा अध्यक्ष मायावती के साथ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने खुद को चुनाव प्रचार से अलग रखा है। अपने निचले स्तर के नेताओं को चुनावी अगुवाई करने का जिम्मा सौंपा है। इस बीच, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक ने दावा किया कि पार्टी के उम्मीदवार सभी सात सीटों पर जीत हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा के चुनाव प्रचार सही समय शुरू किया गया है। पार्टी सभी को साथ लेकर चल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पार्टी के उम्मीदवारों को जनता से भारी समर्थन मिलेगा।

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने मंगलवार को यहां कहा कि महामारी के दौरान सामाजिक कल्याण, विकास कार्य तथा दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण सरकार ने विपक्ष को बैकफुट पर ला दिया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के प्रत्याशी उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवारों के पास कहीं नहीं हैं। राज्य में किये गये लोककल्याण के कार्यो से भाजपा की लोकप्रियता बढ़ी है। हालांकि, विपक्ष के पास कहने के लिए कई अन्य मुद्दे है। कानून-व्यवस्था की समस्या और भ्रष्टाचार का उपचुनाव में असर दिख सकता है। जिसका लाभ विपक्षी दल उठाना चाहेंगे।

सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि लोग भाजपा सरकार के कुशासन से तंग आ चुके हैं। उपचुनाव के नतीजों से भाजपा को पता चल जायेगा। वही उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भी कहा कि कांग्रेस उम्मीदवार विपक्षी खेमे का नेतृत्व करेंगे। कई सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार अंतिम विजेता होंगे।  बसपा नेता लालजी वर्मा ने कहा कि अधिकांश सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों को दूसरों के मुकाबले बढ़त हासिल है। बसपा दूसरी बार राज्य में उपचुनाव लड़ रही है। जौनपुर जिले की मल्हनी विधानसभा सीट को छोड़कर, सभी छह सीटें भाजपा के कब्जे में थीं, इसलिए इस चुनाव में सभी की निगाहें सत्तारूढ़ पाटर्ी की है। सात सीटों के लिए कुल मिलाकर 88 उम्मीदवार मैदान में हैं। नामांकन प्रक्रिया सोमवार को समाप्त हुई। बुलंदशहर सीट पर सबसे ज्यादा 18 उम्मीदवार हैं जबकि घाटमपुर (आरक्षित) सीट पर सबसे कम छह प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।

जौनपुर की मल्हनी सीट के लिए भाजपा ने मनोज सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया। सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के नेता रह चुके हैं। जबकि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी- समाजवादी पार्टी ने लकी यादव को मैदान में उतारा है, जिनके पिता पारसनाथ यादव ने 2017 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी। उनके अचानक निधन के कारण यह सीट पर उपचुनाव हो रहा है। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी(बसपा) ने जय प्रकाश को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने राकेश मिश्रा को सीट के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। इस बीच, पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया।       

उन्नाव जिले की बांगरमऊ सीट भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा बलात्कार के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद खाली हुई है। अब भाजपा ने इस सीट से श्रीकांत कटियार को मैदान में उतारा है, जबकि सपा ने सुरेश कुमार पाल को और बसपा ने महेश प्रसाद को टिकट दिया है। कांग्रेस ने सुश्री आरती बाजपेयी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। सुश्री बाजपेई स्वर्गीय उमाशकर दीक्षित के परिवार से हैं, जो जवाहर लाल नेहरू मंत्रिमंडल में मंत्री थे। इस सीट पर भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का दबदबा रहा है। इस बार सेंगर या उनके परिवार से कोई संबंध नहीं है। इस सीट को बरकरार रखने के लिए भाजपा का असली लिटमस टेस्ट होगा। फिरोजाबाद जिले की टूंडला सीट सपा के बघेल के 2019 में भाजपा से सांसद चुने जाने के बाद खाली हो गई थी। भाजपा ने प्रेमपाल धनगर को अपना उम्मीदवार बनाया था। समाजवादी पाटर्ी ने महाराज सिंह धनगर को, जबकि संजीव कुमार चक को बसपा से और स्नेहा लता को कांग्रेस से मैदान में उतारा है।

कोविद -19 की वजह से भाजपा मंत्री कमलरानी वरुण की अचानक मौत के कारण घाटमपुर विधानसभा सीट खाली हो गई थी। भाजपा ने इस सीट पर उपेंद्र कुशवाहा को मैदान में उतारा है जबकि सपा ने इंद्रजीत कटोरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। बसपा ने इस सीट से कुलदीप कुमार को उतारा है जबकि कांग्रेस ने कृपा शंकर पर भरोसा दिखाया है। नौगांव सादात विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और भारतीय क्रिकेटर चेतन चौहान के कोरोनो वायरस की चपेट में आकर निधन हो जाने से खाली हो गई थी। अब भाजपा ने इस सीट से दिवंगत मंत्री की पत्नी संगीता चौहान को मैदान में उतारा। उसे सपा के सैयद जावेद अब्बास और बसपा के फुरकान अहमद से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस पाटर्ी ने इस सीट के लिए कमलेश सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।       

भाजपा के वीरेंद्र सिंह सिरोही के निधन के कारण बुलंदशहर सीट पर उपचुनाव हो रहा है। भाजपा ने इस सीट के लिए दिवंगत मंत्री की पत्नी उषा सिरोही को उम्मीदवार बनाया है। सपा ने इस सीट से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है लेकिन अपने सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के लिए सीट छोड़ दी है। आरएलडी ने इस सीट से प्रवीण सिंह को उतारा है, जबकि बसपा ने मोहम्मद यूनुस को टिकट दिया है और कांग्रेस ने इस सीट से सुशील चौधरी को टिकट दिया है।  देवरिया विधानसभा सीट पर भाजपा विधायक जनमेजय सिंह के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है। पाटर्ी ने अब सत्य प्रकाश मणि को टिकट दिया वे संत विनोबा पीजी कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर है। सपा ने ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, बसपा ने अभयनाथ त्रिपाठी को जबकि कांग्रेस ने मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी को टिकट दिया है। देवरिया सीट पर भाजपा को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। दिवंगत विधायक जनमेजय सिंह के बेटे अजय सिंह पाटर्ी को पाटर्ी द्वारा टिकट देने से इनकार किए जाने के बाद निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

 

Ajay kumar