महिलाओं पर है अखिलेश का दारोमदार

punjabkesari.in Saturday, Jan 28, 2017 - 03:51 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा एवं सपा ने महिलाओं की सुरक्षा का मामला तो उठा लिया है, लेकिन समाजवादी पार्टी की सरकार के समय चलाई गई योजना का कोई विकल्प उन्हें दिखाई नहीं दे रहा क्योंकि इस योजना की चर्चा तो विदेशी विश्वविद्यालयों तक हो रही है। आई.वी.आर.एस. आधारित महिला पावर लाइन 1090  की शुरूआत कर समाजवादी पार्टी की सरकार ने महिला सुरक्षा से जुड़े 6 लाख मामलों को निपटाया है। यही नहीं इस योजना का अध्ययन महिला प्रताड़ना को रोकने के लिए एक तरीके के तौर पर टैक्सास और शिकागो के लोयला विश्वविद्यालय में भी किया जा रहा है।

चुप्पी तोड़ो खुलकर बोलो अभियान चलाया गया
अखिलेश यादव के नेतृत्व में चुप्पी तोड़ो खुलकर बोलो अभियान चलाया गया, जिसमें महिलाओं को प्रताड़ना का मामला दर्ज करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। यह योजना निर्भया कांड के बाद शुरू किया गया। इस अभियान ने उन लोगों के दिमाग को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो सड़कों पर या फिर फोन कॉल या मैसेज के माध्यम से लड़कियों या महिलाओं को परेशान करते हैं। इनके खिलाफ शिकायत आने पर इन्हें महिला सुरक्षा के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए समझाया जाता है और अगर जरूरत पड़ी तो उनके परिवार वालों को भी इसके लिए बताया जाता है।

4 सालों में 6.61 लाख से अधिक मामलों को निपटाया
हालांकि, शिकायत करने वाली महिला का नाम सार्वजनिक नहीं किया जाता है। इस पावर लाइन के माध्यम से पिछले चार सालों में 6.61 लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया गया है। इसके अलावा 2 अमरीकी विश्वविद्यालयों व आई.आई.एम. लखनऊ की नजर इस अभियान से पडऩे वाले प्रभावों के ऊपर रही है।  एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि इस पावरलाइन के माध्यम से उन्होंने महिलाओं को परेशान करने के करीब 3000 तरीकों की जानकारी भारतीय कानून व्यवस्था से ली। उनका कहना है कि कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि भारत में पिछले 70 सालों से अभी तक महिला प्रताडऩा के खिलाफ कोई कानून नहीं है।

महिलाओं के अंदर आई जागरूकता
जानकारी के मुताबिक इस योजना के शुरू होने के बाद महिलाओं ने शिकायत करना शुरू किया और दर्ज होने वाले मामलों की संख्या बढ़ने लगी। पुलिस अधिकारी के मुताबिक 5.83 लाख मामले दर्ज किए गए, जिसमें महिलाओं को प्रताड़ित किए जाने के 46,471 मामले सार्वजानिक जगहों पर हुए थे। उन्होंने कहा कि 10063 मामले सोशल साइट पर और 9873 मामले घरेलू हिंसा के थे। उनका कहना है कि अगर अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, इसका मतलब है कि महिलाओं के अंदर अधिक जागरूकता आई है।

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