'यूपी का गमछा और झारखंड का मलमल, मिलेंगे तो करेंगे करिश्मा'

punjabkesari.in Sunday, Jul 08, 2018 - 11:45 AM (IST)

लखनऊः उत्तर प्रदेश में मोटे सूत का उत्पादन अधिक होता है जबकि झारखंड महीन सूत के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे में अगर इन दोनो को मिला दिया जाए तो बेहतरीन खेस, चादर, दरी, लुंगी, गमछा और साड़ी सहित अन्य वस्त्र तैयार होंगे, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार सृजन के साथ ही आम आदमी को उच्च श्रेणी के उत्पाद सुलभ हो सकेंगे। 

उत्तर प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने बातचीत में कहा,‘‘उत्तर प्रदेश में जो खादी संस्थाएं हैं, आम तौर पर वेमोटे सूत (काटन) का उत्पादन करती हैं। इनसे गमछा, लुंगी, चादर, दरी, खेस, साड़ी और अन्य वस्त्र बनते हैं। सच्चाई यह है कि हमारे प्रदेश में महीन सूत का उत्पादन काफी कम है। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर झारखण्ड की खादी संस्थाएं महीन सूत बनाती हैं। वे उच्च क्वालिटी की मसलिन वस्त्र बनाती हैं, जिनकी आजकल बाजार में मांग बहुत अधिक है।

इस बीच अच्छी पहल ये है कि उत्तर प्रदेश के खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री सत्यदेव पचौरी ने कहा है कि खादी को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश और झारखण्ड मिलकर काम करेंगे। पचौरी ने कहा कि दोनो प्रदेश में स्थापित खादी एवं ग्रामोद्योग इकाइयों के उत्कृष्ट उत्पाद एवं तकनीकी साझा होगी । मकसद होगा अधिक से अधिक लोगों को स्वरोजगार से जोडना। हाल ही में दोनों राज्यों के खादी के विकास को लेकर उच्च्स्तरीय बैठक हुई। बैठक में झारखंड के प्रतिनिधि के रूप में झारखण्ड राज्य खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ ने शिरकत की।

पचौरी का कहना था कि उत्तर प्रदेश में स्थापित अधिकांश खादी संस्थाएं मोटे सूत का उत्पादन करती हैं। झारखण्ड में स्थापित खादी संस्थाएं महीन सूत बनाती हैं और बढिया क्वालिटी का मसलिन वस्त्र तैयार करती हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड के वस्त्र हथकरघा मजदूरों के बीच अरसे से कार्य कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता दीपक मिश्र ने भाषा से कहा,‘‘उत्तर प्रदेश और झारखंड का जो सांस्कृतिक ताना बाना है, उसे मजबूत करने की ये बहुत मजबूत पहल होगी। इससे रोजगार का संकट हल होगा और समाज के सबसे गरीब और कुशल मजदूरों का रोजगार बढ़ेगा और हमारी कलाओं को भी संरक्षण मिलेगा।

पचौरी का कहना है कि उत्तर प्रदेश में महीन सूत का उत्पादन होना चाहिए। उन्होंने खादी एवं ग्रामोद्योग इंपोरियम के संचालन पर जोर दिया। जिसमें उत्तर प्रदेश की खादी एवं ग्रामोद्योग इकाइयों के उत्कृष्ट उत्पादों के साथ साथ अन्य राज्यों के उत्पादों की मार्केटिंग एवं प्रदर्शन की सुविधा होगी। पचौरी ने कहा कि एक शोरूम झारखण्ड राज्य के उत्कृष्ट खादी एवं ग्रामोद्योगी उत्पादों की बिक्री के लिए भी दिया जाएगा। संजय सेठ ने झारखण्ड राज्य खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के बारे में कहा कि झारखण्ड के छोटे से जिले में कोकून से धागा बनाया जाता है। जिसे लूप में भेजकर वस्त्रों का निर्माण किया जाता है।

रेमन्डस जैसी बडी कम्पनी टसर के धागे से बने वस्त्र बहुतायत में खरीदती है । इससे खादी की मांग बढ़ी है और स्वरोजगार को भी बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्तायुक्त मसलिन उत्पादन के लिए उत्तर प्रदेश की संस्थाओं में काम कर रहे कामगारों को प्रशिक्षण हासिल करने में झारखंड बोर्ड पूरा सहयोग करेगा। प्रमुख सचिव :खादी एवं ग्रामोद्योग: नवनीत सहगल का कहना है कि प्रदेश में खादी एवं ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने तथा स्वरोजगार के अधिक से अधिक अवसर सृजित करने के मकसद से‘‘खादी एवं ग्रामोद्योग विकास एवं सतत् स्वरोजगार प्रोत्साहन नीति लागू की गयी है।

 

Tamanna Bhardwaj