यूपी निकाय चुनाव-राजनीति की मखमली टाट में ऐसे लोग हैं चमड़े का पैबंद

punjabkesari.in Monday, Nov 13, 2017 - 05:30 PM (IST)

ब्यूरो रिर्पोट, यूपी:सूबे में निकाय चुनाव का सियासी बुखार उम्मीदवारों पर चढ़ गया है। टिकट हथियाने के लिए कल-छल-बल का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। भाजपा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में सबसे अधिक टिकटों को लेकर घमासान है, जिन्हें टिकट मिल गया है वो खुद को खुशनसीब मान रहे हैं। जिन्हें नहीं मिला वो पार्टी आलाकमान को जमकर कोसते भी नजर आ रहे हैं। कुछ ने तो पार्टी के खिलाफ ही बगावती झंडा भी लहरा दिया है तो कुछ मन मसोस कर रह गए हैं। टिकट मिलने के बाद नामांकन प्रक्रिया में शामिल होने कुछ ऐसे लोग भी पहुंच गए जिन्हें देखकर मौजूदा राजनीति के गिरते स्तर का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।

फोटो--शालिनी गुप्ता, भाजपा प्रत्याशी
यूपी में होने वाला निकाय चुनाव बीजेपी, कांग्रेस, सपा और बसपा के लिए अब प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। चुनाव आयोग ने प्रदेश के कई वार्ड मेंबर, मेयर, निगम अध्यक्ष जैसी कुछ सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित किया है। ऐसे में अपनी कुर्सी व साख को बचाने के लिए नेताओं ने अपनी पत्नियों को चुनावी दंगल में उतार दिया है। एटा जिले में एक ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला। यहां पर बीजेपी और कांग्रेस की महिला प्रत्याशियों से जब देश की राजनीति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने गोल मटोल जवाब दिया। हद तो तब हो गई की जब भाजपा प्रत्याशी शालिनी गुप्ता से यूपी के मुख्यमंत्री, राज्यपाल के साथ ही देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का नाम पूछा गया। हैरानी हुई की उन्हें इनके नाम तक नहीं पता थे। यही भारतीय राजनीति की विडंबना है कि कुर्सी व सत्ता के लालच ने इसे इतना स्तर विहीन करने को मजबूर कर दिया है कि ऐसे लोगों ही समाज की अगुवाई कर रहे हैं।
 


फोटो---गधे पर बैठे राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी संजीवन लाल
इन महाशय को देखिए। जो किसी गाड़ी पर नहीं बल्कि गधे पर बैठ कर अपना पर्चा भरने पहुंचे थे। नेता जी को जब पुलिस ने कलेक्ट्रेट परिसर में गधे पर बैठ कर जाने से रोका तो उन्होंने दबंगई दिखानी शुरू कर दी। मुगलसराय के इन नेता जी का नाम संजीवन लाल है। राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी हैं और गधे पर बैठ कर पूरे शान के साथ अपना नामांकन करने आए थे। सवाल यह नहीं है कि ये अभी गधे पर बैठ क्या दिखाना चाहतें हैं? असली सवाल तो यह है कि अगर ये जीत गए तो इनकी सवारी क्या होगी... कोई कार या फिर गधा? खैर सवारी जो भी हो... बस ये चुनाव जीत कर जनता को गधा न समझने लगे।


फोटो--- भाजपा चुनाव कार्यालय के बाहर हाथों में हथियार लिए बीजेपी समर्थक
प्रत्याशी जो करते हैं, वो उनकी शख्सियत का आईना होता है। चुनाव जीतने के बाद वो क्या करेंगे इसका पता उनके चाल, चरित्र, चेहरे को देख कर लगाया जा सकता है। चाल, चरित्र, चेहरा की चर्चा यहां इसीलिए की जा रही है क्योंकि यह नारा बीजेपी का था और अब बात भी बीजेपी नेता की हो रही है। फर्रू खाबाद में भाजपा ने नगर पालिका अध्यक्ष की उम्मीदवारी मिथलेश कुमारी अग्रवाल को दी है। बात यह है कि इनके निवास के पास ही भाजपा नगर पालिका चुनाव कार्यालय का हवन पूजन के साथ उद्धघाटन हुआ। तो समर्थकों के बीच दो लोग हाथों में हथियार लिए टहलते नजर आए। संभव है ये दोनों भाजपा के समर्थक हों या फिर किसी बीजेपी नेता के अंगरक्षक। हालांकि आचार संहिता में यूं हथियार लेकर चलना संभव नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि भाजपा के दिग्गज नेताओं के साथ हथियार लेकर चलने वाले लोगों पर पुलिस की नजर नहीं पड़ी होगी। इतना ही नहीं आचार संहिता लगने के बाद भी फर्रू खाबाद के बाजारों में बीजेपी के झंडे लहराते दिखाई दे रहे थे। जिला प्रशासन को सत्ताधारी नेताओं की हनक का डर इसीलिए आचार संहिता के उल्लंघन पर कोई कार्रवाई नहीं हुुई।