UP पुलिस का दावा, गैर-दलितों ने भड़काई थी मुजफ्फरनगर में हिंसा

punjabkesari.in Thursday, Apr 05, 2018 - 08:13 AM (IST)

मुजफ्फरनगर: एससी/एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में बाद देशभर में दलित समुदाय ने भारत बंद का ऐलान किया। देखते ही देखते इस आंदोलन ने हिंसक रुप ले लिया। यूपी के कई जिलों में इसका असर काफी ज्यादा रहा। उत्तर प्रदेश के डीजीपी (मुख्यालय) ने कहा कि मुजफ्फरनगर हिंसा की प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि दलितों के अलावा दूसरी जातियों से जुड़े आवांछित तत्व प्रदर्शनकारियों के साथ हिंसा और आगजनी में शामिल थे, इस दौरान शहर में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई। पुलिस का कहना है कि वीडियो की मदद से ऐसे लोगों की पहचान की जाएगी।

जानकारी के अनुसार आनंद कुमार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हम राज्यभर में हिंसा के पीछे साजिश की संभावना से इंकार नहीं करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके पास सबूत है जिससे पता चलता है कि प्रदर्शकारियों के साथ हिंसा में समाजविरोधी तत्व भी शामिल थे। ये लोग दलित समुदाय के नहीं थे। बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा को मेरठ में कथित तौर पर हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार करने के एक दिन बाद पुलिस ने उनके खिलाफ सारे सबूत होने का दावा भी किया है।

हिंसा और आगजनी में शक के आधार पर मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, हापुड़, गाजियाबाद, आगरा और आजमगढ़ जिलों से 550 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन जिलों में 125 प्रआथमिकी भी दर्ज की गई है। वही बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा की गिरफ्तारी पर आनंद कुमार ने कहा कि पुलिस सबूतों के आधार पर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। इस पूरे मामले में योगेश वर्मा की पत्नी मेरठ महापौर सुनीता ने कहा कि उनके पति निर्दोष है। उन्हें फसाया जा रहा है।

योगेश को मेरठ जिलाधिकारी अनिल ढींगरा और एसएसपी मंजिल सैनी ने सोमवार को उनके पति को कंकरखेड़ा पुलिस सेट्शन में बुवाया गया और उनसे कहा गया था कि वो प्रदर्शकारियों को शांत करवाए। सुनीता ने आरोप लगाया कि घर वापस आने के कुछ ही घंटे बाद उन्हें फिर से बुलाया गया और हिंसा के लिए लोगों को उकसाने के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया।

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