UP: सिद्धार्थनगर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है राप्ती नदी

punjabkesari.in Tuesday, Aug 22, 2017 - 12:56 PM (IST)

सिद्धार्थनगर: नेपाल द्वारा पानी छोड़ने से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले मे राप्ती को छोड़ बाकी नदियों की उफान कम होने के बावजूद बाढ़ का कहर जस का तस बना हुआ है। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राप्ती का जलस्तर स्थिर है लेकिन अभी भी वह खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है, जबकि बूढ़ी राप्ती खतरे के बिंदु से डेढ़ मीटर ऊपर, कूड़ा 1.75 मीटर ऊपर और घोघी 30 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है।

जमुआर नाले के 1.75 मीटर ऊपर बहने से जिले की पांचों तहसीलों के 850 से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में है जिसमें से 425 से ज्यादा गांव बाढ़ के पानी से चारों तरफ से घिरे हुए हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ से पिछले 24 घंटे के दौरान 5 और लोगों की मृत्यु हो जाने से जिले में बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है। नाव की कमी से सभी बाढ़ से घिरे गांव में राहत नहीं पहुंचाई जा सकी है जिससे बाढ़ प्रभावित इलाकों के बाशिंदे जहां फाकाकशी के शिकार हैं वहीं बाढ़ से बचने के लिए घरों की छतों, पेड़ों और ऊंचे स्थानों पर शरण ले रखी है।

सूत्रों ने बताया कि नदियों की कटान से कई बांधों को अभी खतरा बना हुआ है। जिले के 39 बांधों में 27 कटान स्थल संवेदनशील और 11 अति संवेदनशील पाए गए हैं जिनकी निगरानी बढ़ा दी गई है। बाढ़ से 3 लाख से ज्यादा की जनसंख्या और 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है जिसमें से 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में बोई गई फसल भी शामिल है।

उन्होंने बताया कि बाढ़ से जहां 147 सार्वजनिक संपत्तियां क्षतिग्रस्त हुई है वहीं समूचा बाढ़ प्रभावित इलाका पानी में डूबा हुआ है। उन्होंने बताया कि जमुआर नाले का जलस्तर घटने के बावजूद जिला मुख्यालय के राजेंद्र नगर कृष्णा नगर समेत कई मोहल्लों में अभी भी पानी भरा हुआ है।

सूत्रों ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में 47 बाढ़ चौकी,11 राहत शिविर और 16 वितरण केंद्र खोले गए हैं। बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए 215 नाव,12 मोटर बोट, दो प्लाटून पीएसी, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की तीन यूनिट और वायु सेना द्वारा हेलीकॉप्टर से राहत वितरण और बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने का काम किया जा रहा है।