यूपी: गरीबों के निवाले पर राशन माफिया डाल रहे हैं डाका

punjabkesari.in Saturday, Apr 02, 2016 - 08:17 PM (IST)

सहारनपुर (विशाल कश्यप): उत्तर प्रदेश खाद्य एवं नागरिक पूर्ति विभाग में बड़ा घोटाला सामने आया है। जहां एक तरफ सूखे की मार झेल रहे किसानों को एक-एक दाने के लिए मोहताज होना पड़ रहा है वहीं दूसरी तरफ विभाग के अफसर गरीबों के राशन से ही अपनी जेबों को भरने में लगे हुए हैं। विभाग हर माह लाखों रुपये के राशन की कालाबाजारी कर रहा है। विभाग गरीबों के सरकारी राशन को दूसरे गोदामों के माध्यम से दूसरी जगह सप्लाई कर इसे बाजार में बड़े दामों पर बेच रहा है। 
 
क्या है पूरा मामला?
राशन के कालाबाजारी का खुलासा उस वक्त हुआ जब दो दिन पूर्व पीसीएफ गोदाम से एक ट्रैक्टर ट्राली राशन से भरकर सहारनपुर के लाखनौर स्थित एक घर में ले जाई गई। इसकी सूचना किसी ने जिला प्रशासन, पूर्ति विभाग और मीडिया को दे दी कि भारी मात्रा में सरकारी राशन का अनाज किसी घर में उतारा जा रहा है। जब वहां एसडीएम सदर, पूर्ति विभाग की टीम पहुंची तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। क्योंकि जिस गोदाम में ये राशन उतारा जा रहा था वहां करीब एक ट्रक से अधिक का राशन भरा हुआ था। ये सभी अनाज सरकारी था। जो सरकारी बोरों से निकाल कर दूसरे बोरों में पलटा जा रहा था। 
 
गिरफ्तार किए गए 3 लोगों को पुलिस ने छोड़ा
कालाबाजारी करने वाले तीन लोगों को पुलिस ने मौके से गिरफ्तार कर लिया, लेकिन जिला पूर्ति विभाग की ओर से थाने में उनके खिलाफ कोई तहरीर नहीं दी गई। इस वजह से उन तीनों को पुलिस से छोड़ दिया। इस बारे में जब थाना नागल के एसएचओ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि दो दिन हो गए विभाग ने कोई तहरीर नहीं दी तो तीनों आरोपियों को हम 24 घंटे से अधिक थाने में नहीं रख सकते।  
 
ऐसे होता है हर माह कई टन राशन के अनाज का घोटाला
दरअसल, सरकारी राशन हर माह पीसीएफ गोदाम में रखा जाता है। यहां से हर माह अलग-अलग राशन विक्रेताओं को नियत मानक के अनुसार राशन रिलीज किया जाता है। यहां से प्रत्येक बोरे का वजन नहीं तुलवाया जाता। यानि कि प्रत्येक खाली बोरे का वजन 650 से 800 ग्राम तक होता है। प्रत्येक माह करीब 10 हजार से 20 हजार कुंतल राशन रिलीज किया जाता है। इस हिसाब से हर माह करीब 25000 किलो राशन स्टोर कीपर और पीसीएफ गोदाम के अधिकारियों को बचता है। जिसका हिसाब किसी को नहीं देना होता और ये 25000 किलो राशन प्रत्येक माह बाजार में बेच दिया जाता है। जिसकी कीमत करीब 3 लाख 75 हजार से 4 लाख रुपये तक की होती है। ये पूरा पैसा पीसीएफ गोदाम के अधिकारियों के जेब में जाता है। 
 
इस तरह भी होती है कालाबाजारी
इसी तरह से दूसरी कालाबाजारी के खेल खेला जाता है। दरअसल, सामान्य रूप से पीसीएफ गोदाम से जो राशन रिलीज होता है उसके लिए पर्ची जारी की जाती है। जिस राशन माफियाओं से पीसीएफ अधिकारियों की सेटिंग होती है उन्हें बिना नाम की पर्ची जारी की जाती है। यदि किसी ने पकड़ लिया तो उसमें राशन डीलर का नाम लिख दिया जाता है। अगर नहीं पकड़ी जाती है तो वो राशन सीधे राशन माफियाओं के गोदाम तक पहुंच जाता है। जहां से सरकारी कट्टों से इस राशन को दूसरे कट्टों में पलट दिया जाता है और बाजार में आढ़तियों को बेच दिया जाता है। यानि कि दो से तीन ट्रक राशन हर माह बेच दिया जाता है। इस पूरे काम में पीसीएफ अधिकारियों के साथ जनपद के करीब आधा दर्जन राशन माफिया सक्रिय हैं। जो हर माह में केवल 8 दिन के भीतर 40 ट्रक राशन को कालाबाजारी के लिए निकालते हैं जिसमें प्रत्येक ट्रक में करीब 3 टन राशन का अनाज निकाला जाता है। जिस हिसाब से केवल 8 दिन में 120 टन आनाज पीसीएफ अधिकारियों की मिलीभगत से राशन माफियाओं तक ये अनाज पहुंचाया जाता है। यानि कि प्रत्येक माह करीब 120 टन राशन के अनाज की कालाबाजारी की जाती है। जिस हिसाब से करीब डेढ लाख किलोग्राम का राशन ब्लैक कर करीब 18 लाख रूपये का राशन ब्लैक कर दिया जाता है। बाद में इस अनाज की कालाबाजारी के पैसे का अधिकारियों और राशन माफियाओं में बंदरबांट हो जाता है। 
यही एक वजह है कि अधिकारी राशन माफियाओं को किसी भी सूरत में नहीं पकडऩे देते और उन्हें बचा लेते हैं। नहीं तो उनकी प्रत्येक माह की लाखों रूपये की आमदनी बंद होने का खतरा रहता है। 
 
ऐसे बचाते हैं राशन माफियाओं को
ये राशन माफिया प्रत्येक माह पीसीएफ और पूर्ति विभाग के अधिकारियों को लाखों रूपये पहुंचाते हैं तो उन राशन माफियाओं को बचाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं अधिकारियों की होती है। दरअसल, जब पिछले दिनों राशन का अनाज पकड़ा गया तो इस बार दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। 
 
क्या कहते हैं डीएसओ
राशन के पकड़े जाने पर डीएसओ यानि जिला पूर्ति अधिकारी ध्रुव राज यादव से जब बात की गई तो उन्होंने कुछ इस तरह गोलमोल बयान दिया। डीएसओ ने कहा कि तीन लोगों को पकड़ा गया है जिन्हें पुलिस को सौंप दिया गया है। जबकि एसडीएम सदर साहब ऐसा बयान दे रहें हैं जिसमें पूरा सब कुछ गोलमोल दिख रहा है। इतना ही नहीं दो दिन तक सरकारी विभाग की ओर से थाना नागल को कोई तहरीर तक नहीं दी गई। जब 24 घंटे बीते और पुलिस के पास कोई तहरीर नहीं आई तो पुलिस ने तीनों पकड़े गए आरोपियों को छोड़ दिया। जब हमने एसएचओ से बात की तो उन्होंने कहा कि हम किसी भी आरोपी को बिना मुकदमा लिखे 24 घंटे से अधिक थाने में नहीं रख सकते।