UP: विश्वविद्यालय के शिक्षकों की बढ़ सकती है रिटायरमेंट एज, HC ने सरकार को दिए निर्देश

punjabkesari.in Saturday, Apr 30, 2022 - 10:15 AM (IST)

प्रयागराज: राज्य के विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के पक्ष में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश को सही ठहराते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि गोविंद वल्लभ पंत विश्वविद्यालय और राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक कर्मचारियों ने इस संबंध में अपने पक्ष में अधिकार हासिल किया है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि, “सरकार मेरठ के सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का दर्जा परिवर्तित कराएगी जिससे शैक्षणिक कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाई जा सके। राज्य सरकार यह कवायद तीन महीने के भीतर पूरा करेगी।” यह रिट याचिका सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ में प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहे डाक्टर देवेंद्र नारायण मिश्रा ने दायर की थी।

मिश्रा ने विभिन्न आधार पर सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किए जाने की मांग की थी। याचिका स्वीकार करते हुए अदालत ने अपने निर्देश में कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस अदालत के निर्देश के तहत उचित निर्णय किए जाने तक याचिकाकर्ता अपने पद पर काम करता रहेगा। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के 2010 के दिशानिर्देशों के मुताबिक विश्वविद्यालय के अध्यापक सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किए जाने के पात्र हैं और इसलिए राज्य सरकार को इसका ईमानदारी से पालन करना चाहिए। उन्होंने अपनी दलील में उधम सिंह नगर जिले के गोविंद वल्लभ पंत विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा दायर याचिका और उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आठ दिसंबर, 2021 के आदेश का हवाला दिया जिसमें उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने को कहा था।

उत्तराखंड की सरकार ने इस संबंध में आदेश भी जारी किया है। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से दाखिल जवाबी हलफनामा में बताया गया है कि याचिकाकर्ता के पास अपनी सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष से बढ़वाकर 65 वर्ष कराने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि उत्तराखंड की सरकार द्वारा जारी आदेश उत्तर प्रदेश पर लागू नहीं होता। सभी पक्षों की दलीलें सुनने और उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्णय पर गौर करने के बाद अदालत ने 19 अप्रैल को उक्त निर्देश पारित करते हुए कहा, “उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर सही दृष्टिकोण से विचार किया है।”


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Content Writer

Mamta Yadav

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