UP: किसानों के ‘रेल रोको प्रदर्शन’ का कोई खास असर नहीं, जिलों में मुस्तैद रही पुलिस

punjabkesari.in Monday, Oct 18, 2021 - 05:29 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के मामले में केन्द्रीय मंत्री को पद से हटाने की मांग को लेकर भारतीय किसान यूनियन के सोमवार को रेल रोको प्रदर्शन का प्रदेश में कोई खास असर नहीं हुआ और इक्का दुक्का घटनाओं को छोड़कर लगभग शांति ही रही। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश के पश्चिमी इलाकों में कुछ जगह पांच से दस मिनट तक किसानों ने प्रदर्शन किया और ट्रेन रोकने का प्रयास किया लेकिन रेलवे पुलिस की गश्त के कारण वह सफल नहीं हुए।


राजधानी लखनऊ के दो रेलवे स्टेशनों पर जा रहे किसानों को पुलिस ने बाहर ही रोक लिया, कानपुर में पूरी तरह शांति रही, वहीं किसानों के साथ हुई हिंसा के स्थल लखीमपुर में भी पूरी तरह शांति रही, क्योंकि वहां किसानों ने यह आंदोलन वापस ले लिया था।


उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवम शर्मा ने बताया कि खुर्जा रेलवे स्टेशन पर किसानों ने गोमती एक्सप्रेस को दो से तीन मिनट तक रोका लेकिन पुलिस के समझाने के बाद किसान वहां से चले गए। झांसी के डबरा स्टेशन पर पांच मिनट तक किसानों ने प्रदर्शन किया, झांसी के गोहद और मलनपुर स्टेशन के बीच किसानों ने करीब दस मिनट तक प्रदर्शन किया और बाद में पुलिस के समझाने पर वहां से हट गए। उन्होंने बताया कि इसी तरह आगरा डिवीजन के मथुरा पलवल के बीच दो स्थानों पर किसानों ने प्रदर्शन किया। मथुरा पलवल के बीच रामगढ़ और उतारवर स्टेशन के बीच रेलवे फाटक पर किसानों ने करीब दस मिनट तक प्रदर्शन किया। जबकि पलवल स्टेशन के आगे रूंधी स्टेशन के पास भी किसानों ने प्रदर्शन किया। शर्मा ने बताया कि किसानों के इस आंदोलन से किसी प्रकार का नुकसान रेलवे को नहीं हुआ।


लखनऊ के पुलिस आयुक्त डी के ठाकुर ने बताया कि लखनऊ के उतरेठिया और आलमनगर रेलवे स्टेशनों के बाहर से किसानों को समझा कर वापस कर दिया गया। उन्होंने बताया कि उतरेठिया और आलमनगर रेलवे स्टेशन के बाहर किसानों के जत्थे एकत्र हो रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें समझा कर वहां से वापस कर दिया। पुलिस ने किसानों का ज्ञापन ले लिया। ठाकुर ने बताया कि राजधानी के सभी रेलवे स्टेशनों के बाहर पुलिस ने चाक चौबंद इंतजाम किये हैं। कानपुर के पुलिस आयुक्त असीम अरूण ने बताया कि कानपुर में किसानों के आंदोलन का कोई असर नहीं है, फिर भी एहतियातन सभी रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गयी है।


उधर लखीमपुर खीरी से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को खीरी जिले में 'रेल रोको' आंदोलन का कोई बड़ा प्रभाव नहीं देखा गया क्योंकि रेलवे ने जिले में ट्रेनों की आवाजाही को रोक दिया था। किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के एक सदस्य निकाय भारतीय किसान यूनियन टिकैत ने भी लखीमपुर खीरी जिले में 'रेल रोको' आंदोलन को बंद करने की घोषणा की। भाकियू टिकैत के जिलाध्यक्ष अमनदीप सिंह संधू ने बताया, ''खीरी में मौजूदा हालात को देखते हुए एसकेएम ने खीरी जिले में 'रेल रोको' आंदोलन रद्द कर दिया है।'' संधू ने बताया कि, "जिले में बेमौसम बारिश और तेज हवाओं ने धान की फसल को प्रभावित किया था और किसान फसल के प्रबंधन में व्यस्त थे, जिसके कारण एसकेएम ने आंदोलन रद्द करने का फैसला किया।"


संधू ने कहा, "इसके अलावा, रेलवे ने खीरी में ट्रेनों की आवाजाही को निलंबित कर दिया है, इसलिए ट्रेनों को रोकने का कोई फायदा नहीं है।" रविवार शाम अमनदीप सिंह संधू ने एक वीडियो संदेश जारी कर रेल रोको आंदोलन वापस लेने की जानकारी दी थी। इस बीच, एसकेएम द्वारा सोमवार को रेल रोको आंदोलन के आह्वान के मद्देनजर खीरी जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी अलर्ट पर रहे। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए रेलवे स्टेशनों और पटरियों पर भारी पुलिस, पीएसी, रेलवे पुलिस के जवानों को तैनात किया गया था। गौरतलब हैं कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बयान में कहा था, ‘‘लखीमपुर खीरी मामले में जब तक न्याय नहीं मिल जाता, तब तक प्रदर्शन तेज किए जाएंगे।''

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Umakant yadav