UPPCL घोटालाः आरोपी सुधांशु द्विवेदी और प्रवीण गुप्ता पहुंचे सलाखों के पीछे
punjabkesari.in Tuesday, Nov 05, 2019 - 01:28 PM (IST)
यूपी डेस्क: सलाखों के पीछे दिख रहे ये लोग यूपीपीसीएल निदेशक के वित्त रह चुके सुधांशु द्विवेदी और जीएम व यूपी स्टेट पॉवर सेक्टर इंप्लाइज ट्रस्ट के सचिव प्रवीण गुप्ता हैं। ये बड़े घोटाले की छोटी मछलियां हैं। जो अभी तक अगर-मगर करके बच रहे थे। हालांकि अब इनके खेमों में भी हलचल शुरु होने लगी है।
बता दें कि उर्जा महकमे के सर्वेसर्वा रहे एपी मिश्रा को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। जिसे बताया जा रहा है कि ये अखिलेशराज की आँखों के सितारे हुआ करते थे। वैसे तो ये चलन रहा है कि किसी भी बड़े घोटाले में आईएएस अफसरों के तबादले से सारे पाप धुल जाते हैं। जबकि निचले स्तर के अफसर-कर्मियों को जेल जाकर प्रायश्चित करना होता है।
आईएएस होने भर से क्या उनके पाप नहीं माने जाएंगे ?
सोचने वाली बात यह है कि अगर ट्रस्ट के सचिव जेल भेजे गए तो ट्रस्ट के अध्यक्ष की जवाब देही क्यों तय हुई। जो कि ट्रस्ट के अध्यक्ष उर्जा महकमे के प्रमुख सचिव और कद्दावर आईएएस आलोक कुमार हैं।
गौर करिए-
1- एक गुमनाम शिकायत पर जुलाई में आईएएस आलोक कुमार ने जांच समिति गठित की थी, जिसमें रिपोर्ट 29 अगस्त को आई थी, पर प्रमुख सचिव ने मामला तूल पकड़ने तक रहस्यमय चुप्पी साधे रखी।
2- दो साल पहले 17 मार्च को DHFL में पहला निवेश हुआ, इसके बाद लगातार होता रहा, अनुमति किसने दी थी?
3- क्या चेयरमैन के संज्ञान में अनुमति थी, यदि थी तो फिर उनकी जवाबदेही क्यों तय न की जाए?
4- अगर चेयरमैन को इतने बड़े निवेश की जानकारी नहीं थी तब तो नौकरशाही के इतिहास में वे सबसे घोर लापरवाह चेयरमैन माने जाने चाहिए, कार्रवाई तब भी बनती है?
5- बता दें कि ट्रस्ट की 3 साल तक बैठक नहीं होती है फिर भी ट्रस्ट के अध्यक्ष और एमडी रहे अफसरों को कोई फिक्र तक नहीं हुई। कोई सवाल जवाब तक नहीं किए गए, आखिर क्यों ?
यूं तो बीते 2 दशकों से घोटाले के बड़े आरोपियों तक कानून के लंबे हाथ नहीं पहुंच पा रहे थे। लेकिन योगीराज में शुरू हुई कार्रवाई के सिलसिलों से बड़े मगरमच्छों के भी शिकंजे में आने की उम्मीदें जाग गई है।