सिपाहियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब

punjabkesari.in Tuesday, Jul 23, 2019 - 02:23 PM (IST)

प्रयागराजः पुलिस विभाग में सिपाहियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता पुलिस सिपाहियों ने कहा है कि सेवानिवृत्ति के आदेश कानूनी प्रकिया का पालन किए बगैर और बिना सोच विचार किए मनमानी तरीके से पारित किया जा रहा है। न्यायाधीश अश्विनी कुमार मिश्र ने ऐसी कई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद पुलिस विभाग और सरकार से 30 जुलाई तक जवाब मांगा है।

वाराणसी में तैनात रहे महेंद्र कुमार पांडेय समेत कई अन्य सिपाहियों की याचिका पर आदेश पारित कर कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करने के लिए 30 जुलाई की तिथि तय की है। ये याचिकाएं वाराणसी के अलावा गोरखपुर, आगरा, गाजियाबाद, कानपुर में तैनात कांस्टेबलों ने दायर की है। सिपाहियों की तरफ से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश व्यक्तिगत नाराजगी के आधार पर मनमानी ढंग से जिला के पुलिस कप्तान द्वारा पारित किया जा रहा है। इस प्रकार का आदेश पारित करने से पूर्व इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णयों को दरकिनार कर दिया गया है।

गौतम की दलील थी कि यहां तक कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई गाइडलाइन का भी पालन नहीं किया गया है। इसके तहत एक स्क्रीनिंग कमेटी होगी जो सेवानिवृत्ति किए जाने वाले कर्मचारी का उसकी सेवा से संबंधित सारा ब्यौरा जुटाएगी। कर्मचारी का सर्विस रिकार्ड देखा जाएगा। उसकी प्रतिकूल प्रविष्टि आदि पर ध्यान दिया जाएगा और कर्मचारी को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिलेगा, लेकिन इसके विपरीत पुलिस विभाग में बिना किसी जांच के मनमाने तरीके से सिपाहियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश दिया जा रहा है, जो गलत होने के साथ साथ गैरकानूनी है।

अधिवक्ता विजय गौतम ने ऐसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश को रद्द करने की हाईकोर्ट से मांग की है और कहा है कि सिपाहियों को 60 वर्ष की आयु तक उन्हें सेवा में बने रहने दिया जाए। याचिका के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णयों को आधार बनाया गया है और कहा गया है कि सारी कार्रवाई एकतरफा की जा रही है।

Deepika Rajput