उत्तरायणी कौथिग मेला उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीकः योगी

punjabkesari.in Monday, Jan 22, 2018 - 12:32 PM (IST)

लखनऊ(अनिल सैनी): उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उत्तरायणी मेला 2018 शुरू हो गया है। पर्वतीय महापरिषद लखनऊ द्धारा आयोजित उत्तरायणी मेले में दर्शको की गोमती तट पर जबरदस्त भीड़ देखने को मिली। जिसके चलते आयोजक मंडल में खासा उत्साह देखने को मिला।  उत्तरायणी कौथिक के आठवें दिन सांयकालीन सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ मुख्य अतिथि यूपी के सीएम  योगी आदित्यनाथ द्वारा दीप प्रज्वलित करके  किया गया। जिसके बाद महापरिषद के अध्यक्ष भवान सिंह रावत, महासचिव गणेश चन्द्र जोशी द्धारा अतिथियों का माल्यापर्ण व प्रतीक चिन्ह भेंटकर स्वागत किया।

सीएम योगी ने कार्यक्रम में किया संबोधन
सीएम योगी ने इस समारोह कार्यक्रम के दौरान संबोधन देते हुए कहा है कि पर्वतीय संस्कृति, कला और वहां के अध्यात्म और धर्म से जुड़कर विकास की दिशा को और समृद्ध किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की धरती देवभूमि है और उसे इसी रूप में देश और दुनिया में देखा जाता है। योगी ने कहा कि उत्तरायणी कौथिग मेला उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। यह सूर्य के मकर संक्रान्ति में प्रवेश और दक्षिणायन से उत्तरायण होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाता है। इस मेले का धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। 

पर्वतीय महापरिषद के सभी पदाधिकारियों का किया धन्यवाद 
उन्होंने इस आयोजन के लिए पर्वतीय महापरिषद के सभी पदाधिकारियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि बेहतर होगा कि इस आयोजन में उत्तराखण्ड के कलाकारों और वहां की उभरती प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया जाए। इससे लोक कला, लोक संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने में मदद मिलेगी। 

परंपराओं और संस्कृति से जुड़ना होगा
इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड वासियों को वहां की परम्परा और संस्कृति के साथ-साथ अपनी जड़ों से जुड़े रहने के लिए भी हर सम्भव प्रयास करने चाहिए। उत्तराखण्ड ने देश और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राष्ट्रीय सुरक्षा में भी गढ़वाल और कुमाऊं रेजिमेण्ट ने हमेशा योगदान दिया है। उत्तराखण्ड के नवयुवक बड़ी संख्या में देश की सुरक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तैयार रहते हैं। लोगों को परंपराओं और संस्कृति से जुड़ना होगा। 

योग की परम्परा को बढ़ाया जाए आगे
योगी ने पहाड़ के गांवों से पलायन और वहां के खालीपन की चर्चा करते हुए कहा कि लोगों को अपनी जन्मभूमि, परम्पराओं और संस्कृति से जुड़ना होगा। पहले की अपेक्षा पर्वतीय क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं में बढ़ोत्तरी हुई है और जन-जीवन सुगम हुआ है। पर्वतीय क्षेत्रों में भी इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए और योग की परम्परा को आगे बढ़ाया जाए।