वाराणसीः जहां चिताओं की राख से शिव भक्तों ने खेली होली

punjabkesari.in Friday, Mar 10, 2017 - 02:27 PM (IST)

वाराणसीः उत्तर प्रदेश के वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर शिव भक्तों द्वारा अनोखी होली खेली गई। जहां आपने रंगों से होली तो खूब खेली होगी, वहीं भोले की नगरी काशी में चिता की राख के साथ होली खेली जाती हैं। जो पूरे विश्व में सिर्फ काशी में मनाई जाती हैं।

महाश्‍मशान पर चिता संग होली 
राग और विराग की नगरी काशी में मणिकर्णिका घाट पर महाश्मशान पर बाबा भोले के भक्तों ने चिता भस्म की होली खेली। इसके साथ ही महाश्मशाननाथ का पूजन कर होली और अन्‍य के अनुष्ठान शुरू किए। यहां परम्परा है कि अपने गौना के दूसरे दिन बाबा भक्तों और अपने गण यानि भूतों व औघडों के बीच आते हैं और उनके साथ अलग उत्सव मनाते हैं। इसी परंपरा के निर्वहन में रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन भक्तों ने  महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर भस्म व अबीर से होली खेली। पहले शिव के ही अंश माने जाने वाले बाबा मसाननाथ को भस्म औऱ अबीर चढ़ाकर भक्‍तों ने एक दूसरे को भस्म लगाया। काशी की इस अद्भुत होली मे शव का अंतिम संस्कार करने आए लोग भी काफी खुश होकर शामिल हुए।

यह है मान्यता
महादेव की नगरी काशी में ही दुनिया की यह सबसे अनूठी होली मनाई जाती है। रंगभरी एकादशी के ठीक अगले दिन यह होली बनारस में बाबा के भक्त खेलते हैं। मान्यता है कि स्वयं महादेव किसी न किसी रूप में मौजूद रहते हैं। रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ माता पार्वती की विदाई कराकर पुत्र गणेश के साथ काशी पधारते हैं।
महादेव के सबसे प्रिय भूत-पिशाच, दृश्य-अदृश्य आत्माएं हैं। रंगभरी एकादशी के अगले दिन महादेव अपने प्रिय भक्तों के साथ महाश्मशान पर होली खेलते पहुंचते हैं। वहां चिता की भस्म से होली होती है।