हिंसक Movies-Games ने बदली किशोरों की मनोदशा, छोटी उम्र में दे रहे बड़ी वारदात को अंजाम

punjabkesari.in Wednesday, Jan 03, 2024 - 05:40 PM (IST)

कानपुरः हिंसक फिल्में, मोबाइल पर हिंसक गेम ने किशोरों की मनोदशा बदल दी है। बड़े अपराध के बाद भी अपराध बोध नहीं है। बाल संप्रेक्षण गृह नौबस्ता में न्यायिक अभिरक्षा रखे गए किशोरों की काउंसलिंग में यह बातें निकलकर सामने आईं हैं। बाल संप्रेक्षण गृह नौबस्ता में कुल 72 किशोर न्यायिक अभिरक्षा में हैं। 



72 गंभीर हिंसक मामलों में 35 आरोपी किशोर
जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह ने बताया 72 किशोरों में 35 गंभीर हिंसक मामलों में आरोपी हैं। 13 किशोर हत्या, 20 किशोरों पर दुष्कर्म के मामले में सुनवाई चल रही है। इनके छोटे हाथों से जो बड़े अपराध हुए हैं, उनके तरीके भी बड़ों की तरह हैं। जैसे बिधनू क्षेत्र के एक स्कूल में महाराजपुर का रहने वाला 16 वर्षीय छात्र ने क्लास में एक सहपाठी पर चाकू से हमला कर हत्या कर दी थी। घटना बीती जुलाई माह की है। एक और मामला शुक्लागंज निवासी किशोर का है। उसने मूलगंज थानाक्षेत्र में एक व्यक्ति की चाकू से हत्या कर दी थी। चकेरी में 10 वर्षीय बालक ने मासूम बच्ची से गलत हरकत की। आहट पर लोगों के आ जाने पर बच्ची को गड्ढे में गिरा दिया। जहां बच्ची की मौत हो गई। 

किशोरों की मनोदशा व उन कारणों को जानने का किया जा रहा प्रयास
जिला प्रोबेशन अधिकारी के अनुसार किशोर न्याय बोर्ड का पैनल न्यायिक अभिरक्षा में रखे गए इन किशोरों की समय-समय पर काउंसलिंग करता है। इस माध्यम से किशोरों की मनोदशा व उन कारणों को जानने का प्रयास होता है, जिस कारण उन्होंने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया। उन्होंने बताया कि अभी बीते माह किशोरों की आउंसलिंग कराई तो पता चला कि मोबाइल पर हिंसक गेम, फिल्में देखकर इनकी मनोदशा बदली। 

हिंसक फिल्मों ने मन से डर किया खत्म
हिंसक फिल्मों ने मन से डर खत्म कर दिया। इनके मासूम चेहरे देखकर कोई भी किशोरों के अपराध को झुठला देगा, लेकिन बातचीत सोचने पर मजबूर करती है। किशोरों को अपराध बोध नहीं है। किशोरों के दिमाग पर हिंसक फिल्में हावी हैं। उन्होंने बताया कि सभी किशोरों को जल्द ही इटावा भेजने की तैयारी है। इस बारे में महिला एवं बाल कल्याण निदेशालय से पत्र भी आ चुका है।

काउंसलिंग से ही बदलने का प्रयास 
न्यायिक अभिरक्षा से बाहर जाने वाले किशोर फिर वापस आते हैं। कई बार उनके वापस आने पर पता चलता है कि आदतन अपराध करके आए हैं, तो कई बार दूसरे अपराधों में भी आते हैं। किशोरों के आदतन अपराध करने व अपराध की मनोदशा बदलने के लिए ही काउंसलिंग की जाती है। जिससे उन्हें अपराध बोध हो और वह सही रास्ते पर चले।

Content Writer

Ajay kumar