उलटफेर करने में माहिर है जौनपुर के मतदाता, दिल से ज्यादा दिमाग की सुनते हैं

punjabkesari.in Monday, Jan 17, 2022 - 07:01 PM (IST)

जौनपुर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटे जौनपुर जिले के मतदाता दिल से ज्यादा दिमाग की सुनते हैं और हवा का रूख भांपते हुए राजनीतिक दलों को अर्श से फर्श पर बैठाने में कोई देरी नहीं करते। आंकड़े दर्शाते हैं कि 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (SP) ने जिले की नौ सीटों में से सात पर कब्जा जमाया था जबकि 2017 में भाजपा ने अपना दल एस के साथ मिलकर पांच सीटें हासिल की थी और सपा को तीन और बहुजन समाज पार्टी (BSP) को एक सीट पर संतोष करना पड़ा था।

जिले में वर्ष 2017 से भी ज्यादा रोचक इस बार का विधानसभा चुनाव माना जा रहा है। मतदाता चुप्पी साधे हुए है, जिससे प्रमुख दल अभी प्रत्याशियों के चयन पर अंतिम निर्णय नहीं ले पाए हैं, हालांकि वर्ष 2012 से लेकर अब तक हुए दो विधानसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो जनता ने काफी उलटफेर किया है। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के मड़ियाहूं से श्रद्धा यादव, केराकत से गुलाब चंद्र सरोज, जफराबाद से शतींद्रनाथ त्रिपाठी, मल्हनी से पारसनाथ यादव, मछलीशहर से जगदीश सोनकर, शाहगंज से शैलेंद्र यादव ललई, बदलापुर से ओमप्रकाश दुबे बाबा ने जीत दर्ज की थी। सरकार बनने पर पारसनाथ यादव, शैलेंद्र यादव ललई और जगदीश सोनकर मंत्री बनाए गए थे वहीं लंबे समय से जनपद की एक भी सीट पर जीत न दर्ज कर पाने वाली कांग्रेस की झोली में नदीम जावेद ने सदर सीट डाली थी। भाजपा सिर्फ मुंगराबादशाहपुर में सीमा द्विवेदी की बदौलत ही जीत पाई थी।    

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में स्थिति बदली हुई थी। भाजपा व सपा के बीच मतों का जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ। भाजपा ने चार और उसके सहयोगी दल अपना दल (एस) ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी, वहीं जातिगत समीकरण के चलते तत्कालीन सपा सरकार के तीनों मंत्री पारसनाथ यादव, शैलेंद्र यादव ललई और जगदीश सोनकर ने अपनी सीट पर फिर जीत हासिल की। बसपा से सुषमा पटेल पहली बार मुंगराबादशाहपुर से विधायक बनीं, जो इस समय सपा में हैं, जबकि सपा से गठबंधन के बाद सदर सीट से उतरे कांग्रेस के निवर्तमान विधायक नदीम जावेद दूसरे स्थान पर रहे। मुस्लिम बहुल इस सीट पर मतों के ध्रुवीकरण से भाजपा के गिरीशचंद्र यादव जीते और सरकार में मंत्री बने हैं। 2012 से अस्तित्व में आई जिले की मल्हनी सीट पर सपा का कब्जा रहा है। यहां सपा के दिग्गज नेता तत्कालीन मंत्री पारसनाथ यादव ने 2017 में भी बड़ी जीत हासिल की थी।

भाजपा के सतीश कुमार सिंह को हार का सामना करना पड़ा था। पारसनाथ के निधन के बाद हुए साल 2020 के उपचुनाव में उनके बेटे लकी यादव 73 हजार 462 मत पाकर विधायक बने थे। पूर्व सांसद धनंजय सिंह 68 हजार 838 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे। केराकत (सुरक्षित सीट) पर 2012 के चुनाव में सपा का कब्जा था, लेकिन इस सीट पर 2017 में सपा ने संजय सरोज को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वो पार्टी को जीत नहीं दिला पाए थे। जिले की ब्राह्मण बाहुल्य बदलापुर विधानसभा 2012 में अस्तित्व में आई थी। इस सीट से सपा के ओम प्रकाश दुबे (बाबा दुबे) विधायक बने थे। 2017 के चुनाव में पार्टी ने उन्हीं पर दूसरी बार दांव लगाया, लेकर भाजपा को अति पिछड़ों का साथ मिला। ऐसे में भाजपा के रमेश चंद्र मिश्र ने 60 हजार 237 मत हासिल कर विधायक बने, जबकि दूसरे स्थान पर बसपा के लालजी यादव थे, जिन्हें 57 हजार 865 मत मिले थे। 


 


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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