किसी समय धोते थे ढाबे में बर्तन, आज हैं बीजिंग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर

punjabkesari.in Friday, Sep 01, 2017 - 01:18 PM (IST)

मुजफ्फरनगरः अगर मन में कुछ बड़ा करने का जज्बा हो तो कोई भी बाधा इरादों को डिगा नहीं सकती। यह सच साबित किया है बेहद गरीब परिवार में जन्म लेने वाले अनुज ने, जोकि प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के रहने वाले है। बता दें कभी ढाबे पर बर्तन धोकर पढ़ाई करने वाला अनुज अब बीजिंग यूनिवर्सिटी में छात्रों को पढ़ाएगा।

जिले के मंसूरपुर के पास स्थित जाट बाहुल्य गांव सोंटा में एक मजदूर, गरीब कश्यप परिवार में जन्म लेने वाले अनुज ने कभी भी छोटे सपने नहीं देखे। हालांकि वह बहुत गरीब परिवार से था। पिता एक ढाबे में मजदूरी करते थे तो भाई फल के जूस का ठेला लगाता था।

पढ़ाई नहीं छोड़ी
पिता की असमय मृत्यु हो जाने पर अनुज को भी पेट पालने के लिए मजबुरन एक  ढाबे में बर्तन धोने पड़ते थे। देर रात तक बर्तन धोकर वह घर लौटता था। कई बार बर्तन धोते हुए बुखार भी होता था, लेकिन फिर भी रात को कभी लालटेन में, कभी मोमबत्ती में पढ़ना जारी रखता था।

कैसे बने मजदूर से प्रोफेसर
अनुज को पढ़ने की लगन थी वह पढ़ाई का दीवाना था, समय बचा-बचा कर पढ़ा करता था। अनुज की आंखों में बड़े-बड़े सपने थे उसने कुछ दिमाग में धार रखा था। उसकी मेहनत और लगन थी कि उसने मंसूरपुर स्थित सर शादी लाल इंटर कॉलेज से हाईस्कूल किया। फिर मुजफ्फरनगर के जाट कॉलेज से इंटर की। डीएवी डिग्री कॉलेज से बीएससी करने के बाद उसने उत्तराखंड, श्रीनगर स्थित गढ़वाल यूनिवर्सिटी से एमएससी की।

आज है बीजिंग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर
बाद में केमिस्ट्री इलेक्ट्रो विषय में गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और अनुज से वह डॉक्टर अनुज बन गया। पीएचडी में अनुज का विषय था "सिंथेसिस एंड कैरेक्टराइजेशन ऑफ मैक्रो साइकिलिक कांपलेक्स ऑफ बायोलॉजिकल सिगनिफिकेन्स एंड देअर रिडॉक्स स्टडीज।

प्रतिमाह मिलता है इतना वेतन
स्वर्गीय सोमपाल सिंह कश्यप और माता वेदों के पुत्र डॉक्टर अनूप कश्यप ने जो सपने देखे थे वह उसकी काबिलियत के सामने बोने होते गए। आज अनुज को चाइना की बीजिंग यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक के तौर पर पढ़ाने के लिए ढाई लाख रुपए भारतीय करेंसी में वेतन मिलेगा।

करोड़ों लोगों के लिए प्रेरक 
चाइना के बीजिंग की ओर उड़ान भरने वाला अनुज आज जहां बधाई का हकदार है। वही करोड़ों लोगों के लिए प्रेरक भी है। जिसको कामयाबी तक पहुंचने के सफर में उसकी माली हालत ने, जिसे उसके हालात ने, जिसे आर्थिक कमजोरी ने रुकावटे, परेशानियां तो दी मगर उसके आगे बढ़ते हुए कदमों में ये बाधाएं बेड़ियां नहीं बन पाई।

विदेशों से मिल रहे जॉब इनविटेशनस
अनुज ने बीएससी तक बर्तन साफ किए, आज उसके पास चीन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लंदन, ऑस्ट्रेलिया, इजिप्ट, फ्रांस आदि यूनिवर्सिटी से जॉब के लिए इनविटेशन है। गांव के लोगों में उसके मेहनत और लगन की कहानी याद है। सभी खुश है कि आज उनके गांव का एक लड़का चीन में पढ़ाएगा।