'जय श्री राम' बोलने की ये कैसी सजा? मस्जिद में मांगनी पड़ी माफी

punjabkesari.in Saturday, Nov 30, 2019 - 05:28 PM (IST)

फैजाबादः काश मिले मंदिर में अल्लाह, मस्जिद में भगवान मिले... यह लाइने जब लिखी गई होंगी तो मन में ना जाने कितने अंतर्द्वंद चल रहे होंगे। कुछ ऐसा ही अंतर्द्वंद अयोध्या के रहने वाले हाजी सईद के मन में भी चल रहा है। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा कि उन्होंने जय श्री राम कहकर आखिर ऐसा क्या गुनाह कर दिया जो उन्हें इस्लाम से ही खारिज बता दिया गया। आखिर यह कैसी सजा है और कैसा गुनाह?

यह कड़वी सच्चाई सामने आई एक वायरल वीडियो से जिसकी पड़ताल के बाद जो कुछ बाहर निकला वह हूबहू हम आपको बताते हैं। इस मामले की तफ्तीश के दौरान हमें पता चला की अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के पहले तपस्वी छावनी में संत परमहंस ने राम मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए राम नाम जप का आयोजन किया था। इसी कार्यक्रम की पूर्णाहुति के दिन बीते 1 सितंबर को जहां पर हिंदू धर्माचार्य के साथ-साथ कुछ मुस्लिम पुरुष और महिलाएं भी शामिल हुई थी। उन्होंने जय श्री राम के नाम का उच्चारण किया था। इन्हीं में एक हाजी सईद भी थे, जिन्होंने भी जय श्री राम का जाप किया था। उस समय उन्हें गुमान भी नहीं था कि आनेेे वालेे दिनों में उनको इसकी कितनी बड़ी सजा मिलनेे वाली है।

इस बारे में वजीरगंज निवासी हाजी सईद का कहना है कि जय श्री राम का नारा लगाने के कारण उनको धर्म से बाहर कर दिया गया। उन्होंने आदाब और आदर के चलते श्री राम का नारा लगाया था। सईद का कहना है कि वह नमाज के लिए मस्जिद गए थे। इसी दौरान उन्होंने स्वेच्छा से अल्लाह से माफी मांग ली। हालांकि वह अभी भी अपने ऊपर खतरे से इनकार नहीं करते। उन्होंने कहा कि कुछ लोग उनको अंजाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं।

वहीं तपस्वी छावनी में राम मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए हवन पूजन और अनुष्ठान कराने वाले परमहंस दास का कहना है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का नारा लगाने वाले राष्ट्रवादी मुसलमान को काफिर करार दिया जा रहा है। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। प्रभु श्री राम ने पूरे समाज को मर्यादा का संदेश दिया। वह किसी धर्म विशेष से बंधे नहीं है। परमहंस ने मांग रखी है कि ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार को कार्रवाई करना चाहिए।

 

Tamanna Bhardwaj