... जब बिना सूचना जौनपुर तहसील और रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचे थे पूर्व CM कल्याण सिंह

punjabkesari.in Monday, Aug 23, 2021 - 06:09 PM (IST)

जौनपुर: राजनीति में शुचिता बनाये रखने और अपनी विलक्षण कार्यशैली के कारण अलग पहचान रखने वाले उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने वर्ष 1998 में जौनपुर के तहसीलदार कार्यालय का औचक निरीक्षण कर सबको चौंका दिया था। सख्त कानून व्यवस्था की मिसाल पेश करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पारदर्शिता व सुशासन के प्रति भी खासे गंभीर रहे। 1998 में जौनपुर पहुंचने पर भाजपा के तत्कालीन जिला मंत्री अशोक श्रीवास्तव भी वहां पहुंच गए, इसके पश्चात उन्होंने उस समय जिला अध्यक्ष रहे लालता प्रसाद यादव को सूचना दी और लालता प्रसाद यादव भी जौनपुर कलेक्ट्रेट आ गए।      

तहसील कार्यालय का औचक निरीक्षण करने के पश्चात अपनी गाड़ी में जिला अध्यक्ष लालता प्रसाद यादव को बैठा कर मुख्यमंत्री जिला अस्पताल के लिए रवाना हो गए और वहां पहुंच कर मरीजों से किए जा रहे उपचार के बारे में जानकारी ली इतना ही नहीं वहां से लौटने के पश्चात मुख्यमंत्री कल्याण सिंह सीधे सिविल कोर्ट परिसर में ही स्थित रजिस्ट्रार कार्यालय में पहुंच गए जहां पर उन्होंने निरीक्षण के दौरान एक लिपिक के पहने हुए कपड़े की जेब में हाथ डाला तो काफी पैसे मिले पहले तो उन्होंने निलंबित किया उसके पश्चात उस लिपिक का स्थानांतरण मंडल के बाहर कर दिया।      

सिंह के साथ जौनपुर के दौरे पर गये वरिष्ठ पत्रकार संजय भटनागर ने बताया कि जब वाराणसी एयरपोर्ट से मुख्यमंत्री का काफिला जौनपुर जा रहा था तो जौनपुर से सात आठ किलोमीटर पहले ही जौनपुर से वहां की जिलाधकारी लीना नंदन अपनी गाड़ी से वाराणसी की तरफ जा रही थी, काफिला देखने के बाद वह वहीं से पुन: जौनपुर चली आई।      

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का जौनपुर जिले से बड़ा लगाव रहा यहां पर जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से रहे स्वर्गीय राजा यादवेंद्र दत्त दुबे के यहां जब वे आते थे, तो पूरे जिले में उन्हीं के साथ भ्रमण कर लेते थे। अंतिम बार 2014 लोकसभा के चुनाव के दौरान जौनपुर लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी डॉक्टर के पी सिंह के चुनाव प्रचार के लिए शाहगंज तहसील क्षेत्र के सराय मोहद्दीनपुर में एक जनसभा को संबोधित किए थे, इसके पश्चात केंद्र में भाजपा की सरकार बनी और कुछ दिनों बाद सिंह को राज्यपाल बना दिया गया। राज्यपाल बनने के बाद और वहां से अवकाश लेने के पश्चात वे जौनपुर नहीं आए।

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Umakant yadav