पिता के लकवाग्रस्त होने पर बेटियां सैलून चलाकर संभाल रहीं घर, धरा लड़कों का भेष
punjabkesari.in Monday, Jan 21, 2019 - 05:19 PM (IST)
कुशीनगरः आज के समय में लड़कियां लड़कों के साथ कदम-कदम से मिलाकर चल रही हैं। बेटियां-बेटों से किसी भी मामले में पीछे नहीं हैं। इसकी ताजी बानगी कुशीनगर में देखने को मिली जहां दो बेटियां लकवाग्रस्त पिता के सैलून को आगे बढ़ाकर मिसाल पेश कर रही हैं।
जानिए पूरा मामला
दरअसल, जिले के पडरौना थाना क्षेत्र के गांव बनवारी टोला में दो लड़कियां ज्योति (18)और नेहा (16) प्रचलित परंपराओं को तोड़ते हुए पिछले चार सालों से अपने लकवाग्रस्त पिता का सलून संभाल रही हैं, और पुरुषों की हजामत बना रही हैं। इन 4 सालों में राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने उनकी सुध लेने की कोशिश तक नहीं की। हालांकि, हाल ही में जिला प्रशासन दोनों के पास पहुंचा और उन्हें हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है।
लकवाग्रस्त पिता की दुकान संभालती हैं दोनों बहनें
बता दें कि साल 2014 में इनके पिता ध्रुव नारायण पैरालिसिस के शिकार हो गए थे। उस वक्त ज्योति और नेहा मात्र 13 और 11 साल की थीं। ध्रुव नारायण गांव में ही दाढ़ी-बाल बनाने की छोटी सी दुकान लगाया करते थे और इसी से उनके परिवार का भरण पोषण होता था। पिता के लकवाग्रस्त हो जाने के बाद घर चलाना मुश्किल हो रहा था।
परंपरा के ख़िलाफ जाकर संभाला सलून
लड़कियां बाल काटने का काम करेंगी ये परंपरा के ख़िलाफ़ था, लेकिन दोनों बहनों के पास दुकान संभालने के अलावा और कोई चारा भी नहीं था। ज्योति और नेहा प्रतिदिन लगभग 10 से 12 घंटे के लिए दुकान खोले रखती हैं। ताकि घर के ख़र्चे और पिता की बीमारी के लिए ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमा सकें. इतने घंटे काम करने के बावजूद वो मुश्किल से 300 से 400 रुपये तक ही कमा पाती हैं।
खबर वायरल होने पर हरकत में आया प्रशासन
कुशीनगर के सब डिविजनल मैजिस्ट्रेट (एसडीएम) अभिषेक पांडे और स्थानीय विधायक मणि त्रिपाठी बीते रविवार को उनसे मिलने पहुंचे। इस दौरान अभिषेक पांडे ने अपनी जेब से दोनों बहनों को 1600 और 1000 रुपये दिए।