UP Election 2022: जाटलैंड में कमल खिलाने के लिए 250 नेताओं से क्यों मिले अमित शाह?

punjabkesari.in Thursday, Jan 27, 2022 - 04:47 PM (IST)

लखनऊ: पश्चिमी यूपी और ब्रज के चुनावी नतीजों को तय करने में जाट समुदाय की सबसे अहम भूमिका होती है। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव से ऐन पहले बीजेपी ने जाटों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। जाटलैंड की सियासी जंग शुरू होने से ठीक पहले गृहमंत्री अमित शाह जाटों को मनाने के मिशन में जुट गए हैं। दिल्ली में बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के घर पर अमित शाह ने जाट समुदाय के ढाई सौ से ज़्यादा नेताओं से मुलाकात की। इस बैठक में पश्चिमी यूपी के अलग-अलग ज़िलों के नेता शामिल हुए थे। इस गुप्त बैठक के बारे में कुछ बाते बाहर आई हैं। बताया जा रहा है कि अमित शाह ने बैठक में जाटों को मनाने के लिए भावुक अपील की है।

अमित शाह बोले- हम भी जयंत चौधरी को चाहते थे, लेकिन...
यूपी से मेरी राष्ट्रीय राजनीति शुरू हुई है। 2014,17,19 में आपने सरकार बनवायी है। तीनों चुनाव में जाट समुदाय ने हमें जिताया है। जाट समाज ने हमेशा कमल खिलाया है। जाट समाज किसानों की सुनता है। भाजपा भी किसानों को सुनती है। जाट समाज मुगलों से लड़ा है। हम भी मुगलों से लड़ रहे है। जाट समाज की बात हमारे दिल में है। भाजपा पर जाट समुदाय का अधिकार है। कांग्रेस सरकार में गन्ना मिलें बंद हुई, लेकिन हमारी सरकार में गन्ना मिलें बंद नहीं हुई। योगी जी के सत्ता में आने के बाद दंगा नहीं हुआ है। हम भी जयंत चौधरी को चाहते थे, लेकिन जयंत चौधरी ने गलत घर चुन लिया। जयंत चौधरी को भविष्य में देखेंगे।

चुनाव बाद भी जयंत चौधरी के लिए बीजेपी का दरवाजा खुला- शाह
साफ है कि अमित शाह के इस अपील में जाटों के ध्रुवीकरण का संदेश छिपा है। वहीं शाह ने जयंत चौधरी के लिए सकारात्मक टिप्पणी कर जाट समाज का दिल जीतने की कोशिश की है। जयंत चौधरी के पक्ष में बयान देकर समाजवादी पार्टी के समर्थकों को भी शाह ने भ्रम में डाल दिया है। अमित शाह का ये कहना कि चुनाव बाद भी जयंत चौधरी के लिए बीजेपी का दरवाजा खुला है। सपा समर्थकों के मन में कन्फ्यूजन तो पैदा कर ही देगा। इधर अमित शाह की इस रणनीति को भांपने में जयंत चौधरी ने देरी नहीं की है। उन्होंने फौरन ही किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले सात सौ लोगों की याद दिलाकर बीजेपी पर जवाबी हमला बोला।

वहीं अमित शाह ने इस बैठक में जाट समुदाय के मन में उमड़ रहे सवालों को टटोलने की कोशिश की है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में जाट नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह के सामने दो प्रमुख मांगे रखीं। पहली मांग ये थी कि गन्ने का पेमेंट 14 दिन में किया जाए और दूसरी ये कि जाटों को आरक्षण दिया जाए। इस पर अमित शाह ने कहा कि जाटों से उनका विशेष जुड़ाव है और ये मांगे उनके दिल में है। चुनाव के बाद इन मुद्दों पर काम करने का अमित शाह ने भरोसा भी दिया है। बताया जा रहा है कि जाट नेताओं ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग भी रखी थी। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि चौधरी चरण सिंह की वे भी बहुत ज्यादा इज्जत करते हैं।

क्या है शाह का जाट नेताओं से मुलाकात करने का सियासी मकसद?
अब बात करते हैं इस बैठक के सियासी मकसद के बारे में...दरअसल पश्चिमी यूपी में जाट समुदाय की आबादी क़रीब 17 फीसदी हैं। 45 से 50 सीट ऐसी हैं जहां जाट वोटर ही जीत-हार तय करते हैं, लेकिन किसान आंदोलन की वजह से जाट समाज का एक हिस्सा बीजेपी से दूर चला गया था। इसलिए अमित शाह ने जाट समाज की नाराजगी को दूर करने के लिए उनकी मन की बात सुनी। अगर पश्चिमी यूपी में सपा रालोद गठबंधन के तहत मुस्लिम और जाट वोटर एक साथ आए तो बीजेपी की मुश्किलें बहुत बढ़ जाएंगी। इसलिए जाटों को साधने के लिए अमित शाह खुद आगे आएं हैं।

जाट समुदाय का दिल को जीत पाएंगे शाह?
मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद से ही जाट समाज अखिलेश यादव के खिलाफ रहा है। यही वजह है कि मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के बाद से जाट वोटर लगातार तीन चुनावों में खुलकर बीजेपी का साथ दे चुके हैं। एक सर्वे के मुताबिक़ 2019 के लोकसभा चुनावों में 91 फीसदी जाट मतदाताओं ने बीजेपी को वोट दिया। यहां तक कि दो चुनावों में राष्ट्रीय लोकदल के नेता दिवंगत अजित सिंह और उनके बेटे जयंत सिंह बीजेपी से चुनाव हार गए। ऐसे में इस बार भी बीजेपी जाट समाज को रिझाने में लगी है। हालांकि ये वक्त ही बताएगा कि अमित शाह जाट समुदाय के दिल को किस हद तक जीत पाएंगे। 


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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