स्वामी प्रसाद मौर्य ने विरोधियों पर किया पलटवार, कहा- तथाकथित धर्म के ठेकेदारों को मिर्ची क्यों लग रही है?
punjabkesari.in Tuesday, Jan 31, 2023 - 06:26 PM (IST)

लखनऊ: रामचरित मानस पर विवादित बयान देकर सुर्खियों में आए सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार भाजपा और अपने विरोधियों पर जुबानी हमला बोल रहे हैं। इसी क्रम में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ट्वीट कर अपने विरोधियों पर हमला बोल रहे है। उन्होंने कहा कि देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों के सम्मान की बात करने से तथाकथित धर्म के ठेकेदारों को मिर्ची क्यों लग रही है। आखिर ये भी तो हिन्दू ही हैं। क्या अपमानित होने वाले 97% हिंदुओं की भावनाओं पर अपमानित करने वाले 3% धर्माचार्यों की भावनायें ज्यादा मायने रखती हैं।
देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ो के सम्मान की बात करने से तथाकथित धर्म के ठेकेदारों को मिर्ची क्यों लग रही है। आखिर ये भी तो हिन्दू ही हैं।
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) January 31, 2023
क्या अपमानित होने वाले 97% हिन्दुओं की भावनाओं पर अपमानित करने वाले 3% धर्माचार्यों की भावनायें ज्यादा मायने रखती हैं।
दरअसल, कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर टिप्पणी की थी। ओबीसी महासभा द्वारा रविवार को लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां जलाई गईं, हिन्दू संगठनों का आरोप है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के इशारे पर हुआ है। मौर्य का आरोप है कि रामचरित मानस के कुछ छंदों ने जाति के आधार पर समाज के एक बड़े वर्ग का "अपमान" किया और मांग की कि इन पर "प्रतिबंध" लगाया जाए।
आचार्य सरस्वती प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि हालांकि उन्हें राजनीति से कोई लेना देना नहीं है लेकिन ‘‘रामचरितमानस'' जैसे पवित्र ग्रंथ पर कोई भी अमर्यादित टिप्पणी करे, यह बर्दाश्त भी नहीं किया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि किसी भी सम्प्रदाय का व्यक्ति हो, अगर अपने ही धर्म और धार्मिक ग्रंथ को लेकर अमर्यादित टिप्पणी करता है, निश्चित ही वह राष्ट्र के प्रति वफादार नहीं हो सकता है। वह व्यक्ति स्वार्थी होता है, और स्वार्थी किसी का सगा नहीं होता। स्वामी प्रसाद के अमर्यादित टिप्पणी से संत समाज भी कुपित है। उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 16वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को अवधी साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। यह भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है।
रामचरितमानस की आड़ में राजनीतिक रंग-रूप दु:खद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है और इनके नापाक इरादे कभी सफल नहीं होंगे। आचार्य ने बताया कि रामायण में राम को एक आदर्श चरित्र मानव के रूप में दिखाया गया है, जो सम्पूर्ण मानव समाज को सिखाता है कि जीवन को किस प्रकार जिया जाय भले ही उसमे कितने भी विघ्न हों। एक अच्छे और मर्यादित नेता को जाति, धर्म और राजनीति से ऊपर उठकर आम जनमानस में प्रेम एवं सौहार्द का वातावरण पैदा कर एकता की भावना जागृत करना चाहिए न/न कि बयानबाजी कर लोगों में राग और द्वेष पैदा करे।
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