आखिर क्यों सुल्तानपुर में आज तक एक भी महिला नहीं बन पाई उम्मीदवार

punjabkesari.in Friday, Feb 24, 2017 - 10:51 AM (IST)

सुल्तानपुरः आज महिलाएं कहां से कहां तक पहुंच चुकी है। हर क्षेत्र में अाज की महिला पुरुष के साथ कदम से कदम मिला रही है। लेकिन अगर यूपी के सुल्तानपुर विधानसभा चुनावों का ग्राफ देखा जाए तो वहां अब तक दर्जन भर से ज्यादा बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। बावजूद इसके आज तक विधानसभा चुनावों में किसी भी दल ने किसी महिला को यहां से अपना प्रत्याशी नहीं बनाया।
इन सीटों ने मंत्रियों से लगाकर मुख्यमंत्री तक बनाए, लेकिन किसी भी दल ने इन सीटों पर महिलाओं को अपनी किस्मत आजमाने का मौका नहीं दिया।आखिर क्यों सुलतानपुर में महिलाओं को कमजोर समझा जाता है। एेसे में सवाल यह उठता है कि क्या सुल्तानपुर की कोई महिला उम्मीदवार के रुप में खड़ी होने का दम नहीं रखती या उन्हें इस लायक नहीं माना जा रहा?

महिलाओँ को पीछे छोड पुरुष हछिया लेते है टिकट
पिछले कई वर्षों से भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस से लगातार कई महिलाएं चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी दिखाती आई हैं। लेकिन टिकट मिलने का नम्बर आते ही पुरुष इन्हें पीछे कर खुद टिकट हथिया लेते हैं। महिलाओं में पुरुषों की इस अनदेखी से काफी आक्रोश है। यहां 17 लाख 84 हजार 382 मतदाताओं में जहां 9 लाख 34 हजार 302 पुरुष मतदाता हैं तो वहीं 8 लाख 50 हजार 22 महिलाएं हैं। कांग्रेस का चुनाव लड़ चुके शिरोमणि वर्मा का इस विषय में कहना है कि इस क्षेत्र में महिलाओं को कमजोर नजर से देखा जाता है।शिरोमणि ने बताया कि हमने पार्टी हाइकमान से अपनी पत्नी के लिए टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बनाया।

बता दें कि साल 2012 में अपवाद के रूप में इसौली से बसपा ने नरगिस नायाब को अपना उम्मीदवार बनाया था। नरगिस नायाब को भी शायद यह मौका न मिल पाता, लेकिन प्रत्याशी चयन को लेकर चल रही उठापटक में उनके पति रिजवान अहमद पप्पू को टिकट देने से मना कर दिया गया। लिहाजा उन्होंने अपनी पत्नी को टिकट दिलवा 
दिया था।