विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग क्यों: जयंत चौधरी

punjabkesari.in Tuesday, Nov 01, 2022 - 08:13 PM (IST)

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री आजम खान की विधानसभा सदस्यता रद्द होने के को लेकर रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने सवाल उठाते हुए यूपी के विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा कि रामपुर की स्पेशल एम०पी०एम०एल०ए० कोर्ट में हेट स्पीच के मामले में आपके कार्यालय द्वारा त्वरित फैसला लेते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई है। जनप्रतिनिधित्व कानून लागू करने की आपकी सक्रियता की यद्यपि प्रशंसा की जानी चाहिए किन्तु जब पूर्व में घटित हुए ऐसे ही मामले में आप निष्क्रिय नजर आते हैं, तो आप जैसे त्वरित न्याय करने वाले की मंशा पर सवाल खड़ा होता है कि क्या कानून की व्याख्या व्यक्ति और व्यक्ति के मामले में अलग-अलग रूप से की जा सकती है ?

उन्होंने आगे लिखा महोदय, इस सन्दर्भ में आपका ध्यान में खतौली (मुजफ्फरनगर) से भाजपा विधायक  विक्रम सैनी के प्रकरण की ओर आकृष्ट करना चाहूंगा, जिन्हें 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के लिए स्पेशल एम०पी०एम०एल०ए० कोर्ट द्वारा 11 अक्टूबर 2022 को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दो साल की सजा सुनाई गई है। उस प्रकरण में आपकी ओर से आज तक कोई पहल नहीं ली गई। उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि क्या सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है ? यह सवाल तब तक अस्तित्व में रहेगा, जब तक आप भाजपा विधायक विक्रम सैनी के मामले में ऐसी ही पहल रहेगी।  उन्होंने कहा कि आशा है कि आप मेरे पत्र का संज्ञान लेते हुए न्याय की स्वस्थ परम्परा के लिए विक्रम सैनी के प्रकरण में शीघ्र ही कोई ऐसा निर्णय अवश्य लेंगे, जो सिद्ध करेगा कि न्याय की लेखनी का रंग एक-सा होता है भिन्न-भिन्न नहीं।

गौरतलब है कि भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा सुनाये जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई। उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने यह जानकारी दी। उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रधान सचिव प्रदीप दुबे ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि विधानसभा सचिवालय ने रामपुर सदर विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया है। रामपुर की एमपी/एमएलए अदालत ने सपा नेता आजम खां को भड़काऊ भाषण देने के मामले में बृहस्पतिवार को दोषी करार देते हुए तीन साल कैद और छह हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के मुताबिक दो साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले किसी भी व्यक्ति को "ऐसी सजा की तारीख से" सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और जेल की सजा पूरी करने के बाद छह साल तक वह अयोग्य रहेगा।
 

Content Writer

Ramkesh