कई दिनों से यात्रा कर रहे मजदूर परेशान, ना जाने कितने दिन और उठाएंगे परेशानी
punjabkesari.in Sunday, May 17, 2020 - 03:52 PM (IST)
आगराः लॉकडाउन की मार झेल रहे मजदूरों की अलग-अलग मजबूरियां है। इनमें से ही एक विनीत, उसकी उम्र 13 साल, काम लॉकडाउन में बेरोजगार, यह विनीत गुड़गांव में रहता था। कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन के बाद पूरा परिवार बेरोजगार हो गया। सबके सामने रोटी का सवाल खड़ा हो गया। हालातों की मार से बचने के लिए अपने घर बिहार के नालंदा जिले में जाने की ठान ली। घर का सामान उसी रिक्शे पर रख लिया जिससे कभी रोजी रोटी कमाता था, कबाड़ी का काम करके।
रविवार की रात पूरा परिवार रिक्शा चलाते चलाते आगरा पहुंच गया। गहरे सन्नाटे में आधी रात को जब लोग घरों में सो रहे थे, तब विनीत रिक्शे के पैडल को चलाता हुआ सैकड़ों किलोमीटर पार करके नालंदा पहुंचने के लिए आगे बढ़ रहा था। विनीत के साथ उसके पिता रणधीर भी अपने रिक्शे पर पत्नी और बच्चों को गृहस्थी के सामान के साथ बैठा कर पीछे पीछे नालंदा की तरफ बढ़ रहे हैं। गुड़गांव से आगरा पहुंचने में 4 दिन लग गए हैं।
विनीत और रणधीर का परिवार अकेले नालंदा की तरफ नहीं बढ़ रहा है। देर रात गुड़गांव से एक दर्जन से अधिक परिवार रिक्शों पर अपनी गृहस्थी का सामान लादे नालंदा की तरफ बढ़ते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर दो पर मिले। रिक्शा में सवार ये परिवार 4 दिन से यात्रा कर रहे हैं और आगरा आ पहुंचे। रिक्शों पर सामान ढोने के बाद इनकी रोजी रोटी चलती थी। लॉकडाउन वह काम धंधा भी चौपट हो गया। मजबूरी के नाम पर हथेली पर सन्नाटा आ गया। दो महीने इंतजार करने के बाद जब कुछ नहीं दिखा तो सबने रिक्शों पर गृहस्थी समेट कर नालंदा जिले अपने घर जाने की ठान ली। अब यह घरों के लिए निकल चुके हैं। पूछने पर कहते हैं घर पहुंच ही जाएंगे। जहां थक जाते हैं सो जाते हैं। जागते हैं रिक्शों के पेडल मारकर आगे बढ़ने की मशक्कत शुरू हो जाती है।
घर पहुंचने के लिए एक तरफ रिक्शा पर सवार यह परिवार जा रहे हैं तो दूसरी तरफ ट्रकों में सवार होकर जाने वालों को पुलिस ने उतार लिया और आगरा के आईएसबीटी बस अड्डे पर तथा एक्सप्रेस वे के नीचे इकट्ठा कर लिया। हजारों लोग इकट्ठा हो गए सरकारी और प्राइवेट बसें लगाई गई लोगों को घर भेजने के लिए, लेकिन घर पहुंचने वालों की संख्या और बसों की गिनती ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है। बस अड्डे पर सभी को खाना खिला कर सुबह 5:00 बजे बस से जाने के आश्वासन के साथ सोने के लिए कह दिया गया है। अब सैकड़ों लोग जमीन पर चादर बिछाकर सो रहे हैं। बहुत से ऐसे भी हैं जिन्हें नींद नहीं आ रही उनके बच्चे जाग रहे हैं। परेशान हैं 55 दिन हो गए यात्रा करते हुए।
कोई गुजरात से आ रहा है। कोई महाराष्ट्र से आ रहा है। यह लोग ट्रकों में सवार होकर अपने घर जा रहे थे और आगरा की सीमा पर पुलिस ने रोक लिया। अब यहां पर न सोशल डिस्टेंसिंग है ना लॉकडाउन के नियमों से सरोकार। बसों में हाल बेहाल है। एक बस आती है और घर पहुंचने वाले दर्जनों लोग उसमें घुस जाते हैं। कोई किसी की नहीं सुन रहा। सबको घर जाने की पड़ी है। न जाने कितने दिनों से परेशानी उठा रहे हैं यह लोग और ना जाने कितने दिन और परेशानी उठाएंगे।
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