World TB Day 2022: डॉ. खात्री बोले- टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है...  पूरा इलाज ज़रूरी

punjabkesari.in Wednesday, Mar 23, 2022 - 09:15 PM (IST)

झांसी: विश्व क्षय दिवस (टीबी) दिवस के अवसर पर बुधवार को उत्तर प्रदेश में झांसी के स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों से इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए इलाज पूरा करने की अपील की। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ़ एस के खात्री ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। यह लाइलाज बीमारी नहीं है लेकिन मरीज के लिए इलाज पूरा करना बेहद जरूरी है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफडों पर होता है परंतु विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक वर्ष में फेफड़ों की टीबी के बाद पेट की टीबी के अधिकतर मरीज सामने आये हैं।

टीबी ज्यादातर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। क्षय रोग से ग्रसित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेटन्यूक्लिआई उत्पन्न होता है जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। जब एक स्वस्थ्य व्यक्ति हवा में घुले हुए इनमाइको बैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस ड्रॉपलेटन्यूक्लिआई के संपकर् में आता है तो वह इससे संक्रमित हो सकता है। एक्स्ट्रापल्मोनरीटीबी में मुख्यत: पेट की टीबी, हड्डी, रीढ़ की हड्डी, आंत, गले की कंठमाला और फेफड़ों में पानी का उतर आना एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी की श्रेणी में आते हैं।

जनपद में रजिस्टर्ड टीबी के 3147 मरीजों में फेफड़ों की टीबी के 2452 मरीजों के बाद सर्वाधिक 335 मरीज अब्ड़ोमिनल टीबी (पेट की टीबी)के हैं। पेट की टीबी एक प्रकार का एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी है,जिसमें पेट के अंग जैसे आंत, पेरिटोनियम और पेट के लिम्फ नोड्स शामिल होते हैं। यह अलग से एवं पल्मोनरी टीबी के साथ वैक्टीरिया के फैलने की वजह से होता है। पेट की टीबी के प्रमुख लक्षण हैं- पेट में दर्द, वजन कम होना,एनोरेक्सिया ,बार-बार दस्त, निम्न श्रेणी का बुखार, खांसी और पेट का बढ़ना, जांच में पेट में गांठ, तरल पदार्थ महसूस होना एवं लिम्फ ग्रंथियों का बढ़ा हुआ होना आदि। पेट की टीबी का इलाज शुरुआती दो महीनों के लिए कम से कम चार टीबी विरोधी दवाओं और बाद में कम से कम 7-10 महीनों के लिए तीन टीबी विरोधी दवाओं से किया जाता है।

जिला क्षय रोग अधिकारी का कहना है कि टीबी तो किसी भी प्रकार की हो मरीज को इसका इलाज पूरा करना चाहिए बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। पिछले एक वर्ष में जिले में अलग - अलग प्रकार की टीबी के मरीजों की संख्या है : फेंफड़े की टीबी - 2452, पेट की टीबी - 335,रीड की हड्डी की टीबी - 32, दिमाग की टीबी - 7, फेफड़े की झिल्ली की टीबी - 141, लिंफ नोड्स की टीबी - 137,हड्िडयों की टीबी - 11 व ट्यूबजरक्लोसिस मेनेंजाइटिस- 32।


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Content Writer

Mamta Yadav

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