वाह! निर्वाचन आयोगः हारे हुए नेता ने किया 5 साल राज, डिप्रेशन में विजेता

punjabkesari.in Friday, Dec 29, 2017 - 02:05 PM (IST)

गाजियाबाद(आकाश गर्ग): अापने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि सत्ता का राजयोग हर किसी की किस्मत में नहीं होता। यह कहावत गाजियाबाद के मनोज के ऊपर एकदम सटीक बैठती है। दरअसल मनोज ने सन 2012 के नगर निकाय चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उस दौरान मनोज को 25-30 वोटों से हारा हुआ घोषित कर दिया गया। वहीं हाल ही में हुए निकाय चुनाव में मनोज एक बार फिर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था। इसी दौरान उसे एक ऐसे सच का पता चला कि उसके होश उड़ गए। 

जानिए पूरा मामला 
दरअसल मामला गाजियाबाद के कैलाश नगर इलाके का है। जहां के निवासी मनोज  की मानें तो वह सन 2012 के नगर निकाय चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उस दौरान मनोज को 25-30 वोटों से हारा हुआ घोषित कर दिया गया। इसके बाद सन 2017 में आए नगर निकाय चुनाव में मनोज एक बार फिर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था। इसी दौरान निर्वाचन आयोग की साइट पर उसने देखा कि उसके वार्ड से विजय पार्षद के नाम के तौर पर उसका खुद का नाम था जबकि पिछले 5 साल से उस के वार्ड से पार्षद के नाम पर महेश यादव ने राजयोग किया।

डिप्रेशन में विजेता
बता दें कि महेश यादव फिलहाल सपा पार्टी से जुड़ा हुआ है। जब इसके बारे में मनोज को पता चला तो उसके होश उड़ गए। उसने इस पूरे मामले में आरटीआई डाली। RTI में भी सन 2012 में विजय पार्षद के नाम पर मनोज का ही नाम था। इस बात से मनोज इस कदर आहत हुआ कि वह डिप्रेशन में चला गया। जिसके चलते एक प्राइवेट अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। वहीं जब इस बारे में मनोज के परिजनों ने गाजियाबाद के आला अधिकारियों से बात करनी चाही तो उन्होंने भी जो बीत गया उसको छोड़ दो कहकर पल्ला झाड़ दिया। 

मामले की होगी उच्चस्तरीय जांच-पूर्व मेयर 
हालांकि अब इंसाफ के लिए मनोज और उसका परिवार शासन-प्रशासन के चक्कर लगा रहा है। वहीं गाजियाबाद के पूर्व मेयर आशु कुमार वर्मा का कहना है कि अगर ऐसा कुछ हुआ है तो इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होगी। खैर अब देखना यह होगा कि मनोज को कब और किस तरह न्याय मिलता है।