कोरोना के खिलाफ लड़ाई में योग एक अचूक अस्त्र की तरह दे रहा साथ: योग गुरू

punjabkesari.in Sunday, Apr 25, 2021 - 04:30 PM (IST)

सहारनपुर: योग गुरू पद्मश्री भारत भूषण ने कहा है कोरोना के खिलाफ लड़ाई में योग एक अचूक अस्त्र की तरह साथ दे रहा है। उन्होंने कहा कि डर किसी भी समस्या का इलाज नहीं है। डर तो समस्या को बढ़ाने और नई समस्याएं पैदा करने का साधन है। डर से हृदय, जिगर और फेफड़े यहां तक कि रक्त वाहिनियां भी सिकुड़ जाती हैं और डरा सहमा व्यक्ति जान तक गंवा बैठता है। ये डर ही हमारे शरीर में ऑक्सीजन और जीवनी शक्ति का स्तर कम कर देता है। वायुमंडल में भरपूर ऑक्सीजन होते हुए भी हम ऑक्सीजन के लिए वेंटिलेटर पर पहुंच जाते हैं। योग ही वो साधन है जो हमे निर्भय बनाता है इसलिए परिस्थिति कोई भी हो बस जरा सा धैर्य व विवेक से काम लें।

योग गुरु ने कहा कि डर और चिंता से छुटकारा पाने के लिए ही भारतीय ऋषियों ने इंसान को योग का अस्त्र दिया है। योग ने तो मृत्यु तक का भी मुकाबला करने की राह सुझाई है। ये कोरोना तो मात्र एक रोग है। अब तो डॉक्टरों ने भी ये बात मान ली है कि कोरोना संक्रमण से जूझने में इलाज कराते हुए भी योग व व्यायाम का हाथ न छोड़ें क्योंकि लड़ने की ताकत यानी इम्यूनिटी और ऑक्सीजन इससे ही मिलेगी। उन्होंने कहा कि अधिकतम ऑक्सीजन पूर्ति से जीवनी शक्ति और सकारात्मक भाव तरंगे विकसित करने के लिए प्रतिदिन सुबह शाम पांच-पांच बार शंख अवश्य बजाएं। हर धर्म का व्यक्ति ईश्वर के प्रति शुक्रिया यानी अहोभाव में दोनो हाथ ऊंचे उठाकर सहज हो जाता है। अत: सीधे खड़ी हुई अवस्था में गहरा सांस भरते हुए दोनो बाजु साइड से ऊंचे आसमान की तरफ चौड़े उठाकर सर पीछे ढीला लटकाए हुए दबाव मुक्त फेफड़ों से गहरा श्वास प्रश्वास करना बड़ी राहत की सांस देगा।

योग गुरु ने बताया कि ऋषियों को परंपरा में सहज होने व जीवनीशक्ति पाने के लिए किए जाने वाले दंडवत प्रणाम की पेट के बल लेटने की स्थिति यानी प्रोन पोजिशनिंग करने के लिए आज सभी मेडिकल प्रोफेशनल्स सलाह दे रहे हैं। योग गुरू भारत भूषण ने बताया कि इन सब के साथ कुंभक का अभ्यास यथासामर्थ्य सभी करें, सरल अर्थों में कुंभक को ही प्राणायाम कहा गया है। जिससे हर व्यक्ति अपना ऑक्सीजन स्तर बढ़ाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए रखकर संक्रामक रोगों को हरा सकता है। इसमें कमर व सिर एक सीध में रखते हुए सहज बैठें और पूरा सांस बाहर छोड़कर दाहिने अंगूठे और अनामिका से नाक को क्लिप कर लें और यथा सामर्थ्य रुकने के बाद अंगुलियों की क्लिप हटाकर गहरा श्वास भर जाने दें।

इसी प्रकार पूरा सांस भीतर भरकर नाक को क्लिप कर लें और यथा सामर्थ्य रुकने के बाद क्लिप हटाकर सांस को सहज हो जाने दे। इससे फेफड़ों में इसी प्रकार पूरी तरह सांस पहुंच जाएगी जैसे तेज आंधी आने पर घर के कोने-कोने में हवा पहुंच जाती है। जीवनी शक्ति ऑक्सीजन और पॉजिटिविटी बढ़ाने के लिए स्वामी भारत भूषण अट्टहास को सबसे महत्वपूर्ण उपाय मानते हैं। जिसके सामने रोग व शोक बहुत नगण्य रह जाता है। मोक्षायतन अंतररष्ट्रीय योगाश्रम की स्थापना करने वाले देश के वरिष्ठतम योगगुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण का कहना है कि रोग की गंभीरता और रोगी की बढ़ती कमजोरी को ध्यान में रखकर बिना थके की जाने वाले इस योगाभ्यास के साथ मास्क पहनना, हाथों को स्वच्छ रखना व उचित दूरी बना कर रखना एक बड़ा रक्षा कवच है।

इसके साथ दिन में दो बार पांच पांच मिनट गर्म पानी की भाप लेना, आयुर्वेदिक काढ़ा का सेवन, जल व सूत्रनेति तथा विरेचन क्रिया और कपालभाती के अभ्यास के साथ घर में विशेषकर कपूर गुग्गल लवंग अजवाइन से यज्ञ करना या कपूर लवंग अजवाइन को रूमाल में रख कर सूंघना एक बेहतर उपाय है। उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ने और निश्चित विजय पाने के लिए कोरोना के साथ भी और कोरोना के बाद भी ये योग उपाय आपका साथ देंगे, जिन्हें करने से रोगी स्वस्थ हो जाएगा और जो स्वस्थ व्यक्ति इस अभ्यास को करेगा तो निरोग बना रहेगा। उन्होंने ध्यान के अभ्यास से शांत निश्चित व निर्भय रहने के लिए सीधी कमर रखते हुए तनाव मुक्त कर बैठने और आंखें बंद करके भूत, भविष्य की चिंताओं से मुंह मोड़ कर कुछ देर सिर्फ अपने वर्तमान में टिके रहकर नासाग्र पर आते जाते सांस से जुड़े रह कर सकारात्मक भाव तरंग और जीवनी शक्ति बढ़ाने का रास्ता सुझाया। इसी अवस्था में गहरा सांस भर कर तेरह बार इतना लंबा ॐ बोलने का सुझाव दिया कि पेट भीतर तक सिकुड़ता चला जाए और अगली बार ओम बोलने के लिए आपको और भी अधिक गहरा श्वास भरना पड़े। 

Content Writer

Tamanna Bhardwaj