गांव, गरीब, किसान ने बीजेपी को किया नजरअंदाज, निर्दलीय पर दिखाया विश्वास

punjabkesari.in Monday, Dec 04, 2017 - 01:20 PM (IST)

आशीष पाण्डेय, यूपी: उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में जिस जीत का बीजेपी जश्र मना रही है वो केवल दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं है। कारण यह है कि इस निकाय चुनाव में बीजेपी का वोटर दूर जाता दिखा है। जीत का यह जश्र तो केवल गुजरात चुनाव के लिए प्रचार भर है। सच तो यह है कि इस चुनाव में बीजेपी को गांव, गरीब और किसान ने नजरअंदाज कर दिया। इस बात को बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता व लीडर समझ रहे हैं, लेकिन आलाकमान की हनक के आगे सभी मौन होकर बॉस इस ऑलवेज राइट की कहावत को चरितार्थ करते नजर आ रहे हैं। जबकि स्पष्ट है कि जहां बड़े शहरों में बीजेपी को पूर्वानुमान के अनुसार ही सीटें मिली तो वहीं छोटे शहरों और गांवों में उसे नुकसान हुआ है। जबकि बीजेपी हमेशा की तरह आंकड़ों को दिखाकर अपनी पीठ थपथपा रही है। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं पहली नजर में ये आंकड़ा बीजेपी के जीत की की बानगी दिखा रहा है। लेकिन इन आंकड़ों के पीछे की सच्चाई राजनीतिक वि£शेषक समझ रहे हैं। हम बताते हैं कि बीजेपी को इस जीत के बाद भी नुकसान कैसे हुआ।

कस्बों व गांव में नुकसान
मेयर की 16 में 14 सीट बीजेपी ने जीती। इस जीत का प्रतिशत 87.5 है। अब जैसे जैसे हम बड़े शहरों से होते हुए कस्बों और गांवों तक पहुंचते हैं जीत का प्रतिशत भी घटता जाता है। उदाहरण के लिए पार्षद पदों पर ये प्रतिशत 45.85 रह गया। इसके बाद नगर पालिका अध्यक्ष पदों पर 35.35 प्रतिशत और नगर पालिका सदस्य पदों पर 17.53 प्रतिशत में ही ये आंकड़ा सिमट गया। नगर पंचायत अध्यक्ष पदों पर ये आंकडा 22.83 रहा तो वहीं नगर पंचायत सदस्य पदों पर मात्र 12.22 प्रतिशत पर आकर ठहर गया। ये घटता वोट प्रतिशत इस बात की तहफ इशारा कर रहा है कि बीजेपी की लहर अब शांत होती दिख रही है।

बीजेपी पर नहीं निर्दलीय पर भरोसा
नगर पंचायत और नगर पालिकाओं में बीजेपी को भले ही पार्टी स्तर पर अधिक सीट मिली हो लेकिन बीजेपी कैंडिडेट से अधिक तो निर्दल उम्मीदवार जीते हैं। जिससे यह बात साबित होती है कि कस्बों, छोटे शहरों औरगांवों में बीजेपी का वोट बैंक कम हो रहा है। यूपी की नगर पालिका पार्षद सदस्यों की सीट 5261 है, जिसमें से 3380 सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ही काबिज हुए हैं। इसी तरह नगर पंचायत सदस्यों की कुल 5434 सीट में से 3875 सीट निर्दलीय उम्मीदवारों को ही मिली है। निर्दलीय उम्मीदवारों ने 224 पार्षद पद जीते है. नगर पालिका अध्यक्ष के 43 पदों और नगर पालिका सदस्य के 3380 पदों पर कब्जा किया जो 64.25 प्रतिशत है। ये तथ्य भी हैरान करने वाला है कि निर्दलीय उम्मीदवारों ने नगर पंचायत अध्यक्ष के 182 पद (41.55 प्रतिशत) और नगर पंचायत सदस्य के 3875 पदों (71.31 प्रतिशत) पर कब्जा कर लिया। जनता ने इतनी बड़ी तादाद में निर्दलीयों पर भरोसा जताया है तो कहीं ना कहीं, कोई ना कोई बात तो जरूर रही होगी। 

वर्ष 2012 के आंकड़ों में बीजेपी 
- मेयर की कुल सीट 12 में से बीजेपी को 10 सीट जबकि दो सीट पर निर्दल।
- नगर पालिका परिषद अध्यक्ष 194 की सीट में से बीजेपी को मिली 42, 15 कांग्रेस और 130 सीट पर निर्दल।
- नगर पंचायत अध्यक्ष की 423 सीट में से बीजेपी 36, 21 पर कांग्रेस और 352 सीट निर्दल।
- नगर निगम महापौर व अध्यक्ष की 980 सीट में से बीजेपी को 304 सीट, 100 पर कांग्रेस और 558 पर निर्दल।
- नगर पालिका पार्षद सदस्य की 5077 सीट में से बीजेपी को मिली 506, 179 सीट कांग्रेस और 4323 सीट निर्दल।
- नगर पंचायत सदस्य की 5248 सीट में से बीजेपी 210, 138 कांग्रेस और 4734 निर्दल।

वर्ष 2017 के आंकड़ों में बीजेपी
- मेयर की 16 सीट में से बीजेपी 14 दो बीएसपी।
- नगर पालिका परिषद अध्यक्ष की 198 सीट में से बीजेपी 70, 09 पर कांग्रेस, 45 सीट पर सपा, 29 सीट बीएसपी और 43 सीट निर्दल जबकि एक अन्य।
- नगर पंचायत अध्यक्ष की 438 सीट में से बीजेपी 100, 17 पर कांग्रेस और 83 सपा, 45 बसपा, 182 निर्दल।
- नगर निगम महापौर व अध्यक्ष की 1300 सीट में से बीजेपी को मिली 596, 110 सीट पर कांग्रेस, 202 सीट सपा, 147 सीट बसपा और 224 निर्दल। 
- नगर पालिका पार्षद व सदस्य की 5261 सीट में बीजेपी को 922 सीट, 158 पर कांग्रेस, 477 पर सपा, 262 पर बसपा और 3380 पर निर्दल।
- नगर पंचायत सदस्य की 5434 सीट में से बीजेपी को 664, 126 सीट पर कांग्रेस, 453 पर सपा, 218 पर बसपा और 3875 पर निर्दल।