हरी खाद के लिए 30 हजार कुंतल ढैंचा बीज मुहैया कराएगी योगी सरकार, प्राकृतिक एवं जैविक खेती को देगी प्रोत्साहन

punjabkesari.in Thursday, Mar 16, 2023 - 04:22 PM (IST)

लखनऊः उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार उपजाऊ भूमि के लिए संजीवनी साबित हो रही हरी खाद के लिए खरीफ सीजन में किसानों 50 फीसद अनुदान पर 30 हजार कुंतल ढैंचा बीज उपलब्ध कराएगी। दरअसल, पिछले दो दशकों के दौरान किसान हरी खाद (ढैचा, सनई, उड़द एवं मूंग) की उपयोगिता को लेकर जागरूक हुए हैं। लिहाजा इनके बीजों की मांग भी बढ़ी है। प्राकृतिक एवं जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार भी भूमि में कार्बनिक तत्वों को बढ़ाने के लिए हरी खाद को प्रोत्साहित कर रही है। इन सब में हरी खाद के लिहाज से सबसे उपयोगी ढैचा ही है। यही वजह है कि सरकार ने जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिये ढैंचा पर अनुदान देने का फैसला किया है।

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मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले साल भी ढैंचे के बीज पर ही इतना ही अनुदान था। तब प्रति कुंतल दाम 54.65 पैसे निर्धारित किया गया था। उम्मीद है कि इस साल भी दाम लगभग पिछले साल के ही आसपास रहेंगे। जिन प्रगतिशील किसानों को यह डिमांस्ट्रेशन के बाबत दिए गये थे उनको 90 फीसद अनुदान देय था। उप निदेशक कृषि जयप्रकाश के अनुसार सनई एवं ढैचा जैसी फसलों की जड़ों में ऐसे जीवाणु होते हैं जो हवा से नाइट्रोजन लेकर मिट्टी में स्थिर कर देते हैं। इसका लाभ अगली फसल को मिलता है। उनके मुताबिक कार्बनिक तत्व मिट्टी की आत्मा होते हैं। भूमि में ऑर्गेनिक रूप से इसे बढ़ाने का सबसे आसान एवं असरदार तरीका है हरी खाद। कार्बनिक तत्वों की उपलब्धता खुद में सभी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होती है। साथ ही यह रासायनिक खादों के लिए भी उत्प्रेरक का काम कर उसकी क्षमता को बढ़ाती है।

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करीब 3-4 हफ्ते में सड़ जाते हैं फसल के अवशेष
अगली फसल में खर-पतवारों का प्रकोप भी कम हो जाता है। इससे उर्वरता के अलावा संबंधित भूमि में जलधारणा, वायुसंचरण व लाभकारी जीवाणुओं में वृद्धि होती है। लगातार फसल चक्र में इसे स्थान देने से क्रमश: भूमि की भौतिक संरचना बदल जाती है। इफको के मुख्य क्षेत्र प्रबंधक डा. डीके सिंह के अनुसार अगर हरी खाद के लिए सनई, ढैंचा बोया गया है तो फसल की पलटाई बुआई के लगभग 6-8 हफ्ते बाद फूल आने से पहले कर लें। इसके बाद खेत में पानी में लगा दें। फसल का ठीक तरीके से और जल्दी डीकंपोजिशन (सड़न) हो, इसके लिए फसल पलटने के बाद और सिंचाई के पहले प्रति एकड़ 5 किलोग्राम यूरिया का बुरकाव भी कर सकते हैं। फसल के अवशेष करीब 3-4 हफ्ते में सड़ जाते हैं। इसके बाद अगली फसल की बोआई करें। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए सनई उपयुक्त होती है।

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एक हेक्टेअर में 80-100 किग्रा लगता है बीज
एक हेक्टेयर में 80-100 किग्रा बीज लगता है। ढैंचा की बुआई कम या अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में की जा सकती है। प्रति हेक्टेअर खेत में 60-80 किग्रा बीज लगता है। सिंचाई की सुविधा होने पर खाली खेत में अप्रैल से जून के बीच कभी भी इसकी बोआई की जा सकती है। सनई, ढैचा, मूंग, उड़द आदि हरी खाद के कारगर विकल्प हैं। उपलब्धता व जरूरत के अनुसार इनमें से किसी का भी चयन कर सकते हैं। इसमें से ढैचा एवं सनई हरी खाद के लिहाज से सर्वाधिक उपयुक्त हैं। मूंग एवं उड़द की बोआई से हरी खाद के साथ प्रोटीन से भरपूर दलहन की अतिरिक्त फसल भी संबंधित किसान को मिल जाती है। अलबत्ता इनके लिए खुद का सिंचाई का संसाधन होना जरूरी है। प्रति हेक्टेयर 15-20 किग्रा बीज की जरूरत होती है। 


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Content Editor

Pooja Gill

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