2018 में कानून व्यवस्था के मसले पर निशाने पर रही योगी सरकार

punjabkesari.in Wednesday, Dec 26, 2018 - 05:30 PM (IST)

लखनऊः कानून व्यवस्था को बेहतर कर भयमुक्त शासन देने के दावों के साथ पिछले साल सत्ता में आई उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पूरे साल इसी मसले को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर रही।  वर्ष 2018 के दौरान संगठित अपराधों पर सरकार कुछ हद तक नकेल कसने में सफल रही हालांकि हत्या,लूट अपहरण और बलात्कार जैसे अपराधों में कोई खास कमी नहीं आ सकी। इस दौरान विपक्षी दलों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके अनुसांगिक संगठनों बजरंग दल और हिन्दू युवा वाहिनी पर हिंसा भड़काने को लेकर निशाने पर रखा।

उन्नाव में भाजपा विधायक नाबालिग लड़की से बलात्कार में फंसे तो शिकायतकर्ता पिता की ही उल्टे पीट-पीटकर हत्या हो गई वहीं साल खत्म होते होते गोकशी की घटना के बाद उग्र भीड़ के हमले में एक इंस्पेक्टर को अपनी जान से हाथ गंवाना पड़ा। इसके बावजूद सरकार और उसके नुमाईंदे आंकड़ों का हवाला देकर अपराध में कमी का दावा करते रहे। इस कड़ी में पिछली जुलाई में सरकार ने सपा के शासनकाल के दौरान हुए अपराधों से तुलना करते हुए कहा कि वर्ष 2017 में जनवरी से जुलाई के बीच डकैती में 37, लूट में 19 और हत्या की घटनाओं में करीब 37 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई।

इस दौरान अपहरण की घटनाओं में 25 और बलवा में करीब आठ फीसदी की कमी आई। हालांकि दहेज हत्या के मामलों में चार फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। महिला संबंधी अपराधों की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए। बालिकाओं की सुरक्षा के लिए ‘एंटी रोमियो स्क्वायड’ का गठन किया गया। साथ ही, ‘1090’ वूमेन पावर लाइन, घरेलू हिंसा का शिकार होने वाली महिलाओं के लिए ‘181’ महिला हेल्पलाइन का संचालन किया गया। मुख्यमंत्री योगी ने नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों में दोषियों को फांसी की सजा दिलाए जाने के लिए एक प्रस्ताव केन्द्र को भेजा। सरकार के तमाम प्रयासों और कवायद के बावजूद राज्य में समय समय पर हिंसा और अपराध की घटनाओं से दहलता रहा। योगी सरकार के लिए जनवरी से लेकर दिसंबर तक लगभग हर महीना कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिहाज से चुनौतीपूर्ण रहा।

Ruby