गर्भवती महिलाओं की मौत की सूचना देने वालों को ईनाम देगी योगी सरकार

punjabkesari.in Thursday, Jul 27, 2017 - 04:17 PM (IST)

लखनऊः  उत्तर प्रदेश भर में मातृ मृत्यु दर को नियंत्रित करने और गर्भवती को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए योगी सरकार ने एक नई घोषणा की है। जिसके तहत अब आशा बहुओं के साथ-साथ आम जनता पर भी एक नई जिम्मेदारी होगी। सरकार की इस घोषणा अनुसार जिन गर्भवतियों का पंजीकरण हो चुका है, उनकी मृत्यु होने की दशा में जब सूचना दी जाएगी तब 1000 रुपए की प्रोत्साहन राशि सूचना देने वाले व्यक्ति को दी जाएगी। सूचना देने के लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है।

राज्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य आलोक कुमार ने बताया कि सरकार की ओर से साल 2017-18 में मातृ मृत्यु समीक्षा कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए नई व्यवस्था की गई है। जिसके तहत आशा वर्करों द्वारा गर्भवती महिला की मृत्यु की सूचना जल्द से जल्द दूरभाष पर सम्बन्धित प्रभारी चिकित्साधिकारी एवं राज्य स्तरीय टोल फ्री नम्बर-1800 180 1900 पर दी जाएगी। नई व्यवस्था के अन्तर्गत मातृ मृत्यु की सूचना प्राप्त करने के लिए समुदाय की भागीदारी बढ़ायी जा रही है

आलोक कुमार ने बताया कि भारत सरकार द्वारा समुदाय स्तर से मातृ मृत्यु की सूचना प्राप्त करने के लिए रुपए 1,000 प्रति सूचना प्रोत्साहन धनराशि का प्रावधान किया गया है। समुदाय के किसी भी व्यक्ति द्वारा मातृ मृत्यु की सूचना देने पर उस व्यक्ति को रुपए 1000 दिए जाएंगे।

बता दें कि यह व्यवस्था केवल वास्तविक मातृ, मृत्यु के उन्ही प्रकरणों के लिए होगी, जहां पूर्व से ही स्वस्थ्य विभाग को सूचना प्राप्त नहीं हो सकी हो। गर्भावस्था, प्रसूति एवं गर्भपात के कारणों से सम्पूर्ण गर्भावस्था प्रसव अथवा गर्भपात के 42 दिनों के भीतर होने वाली मातृ मृत्यु की सूचना जल्द से जल्द राज्य स्तरीय टोल फ्री नंबर-1800 180 1900 पर देनें पर वास्तविक मातृ मृत्यु की सूचना के लिए समुदाय से सूचना देने वाले व्यक्ति को 1000 रुपए दिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी एवं उनके परिवार के सदस्यों को यह प्रोस्साहन धनराशि अनुमन्य नहीं होगी।

दरअसल एनुअल हेल्थ सर्वे के बेस लाइन (2010-11) में यूपी का मैटरनल मॉरटैलिटी रेशियो 345 प्रति 1 लाख जीवित जन्म था। ये सेकेंड अपडेशन 2012-13 की रिपोर्ट के अनुसार घटकर 258 प्रति 1 लाख जीवित जन्म हो गया है। जिस पर अब नेशनल हेल्थ मिशन(यूपी) ने साल 2017 तक इसे 200 प्रति 1 लाख जीवित जन्म तक लाने का लक्ष्य रखा है।