काकोरी काण्ड की वर्षगांठ पर योगी ने दी शुभकामनाएं, जानें क्रांतिकारियों ने कैसे दिया था अंजाम

punjabkesari.in Sunday, Aug 09, 2020 - 03:31 PM (IST)

लखनऊः ब्रिटिश पराधिनता की बेड़ियों में जकड़े देश के क्रांतिकारियों ने आजादी के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए,जिससे कि हम आज स्वतंत्रता का मतलब समझ पा रहे हैं। उनमें से एक था 9 अगस्त 1925 को घटी ऐतिहासिक घटना जिसे इतिहास में काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है।

काकोरी काण्ड  ने अंग्रेज़ों को बड़ा परेशान किया और एक संदेश पहुंचा दिया कि हिन्दुस्तानी क्रांतिकारी उनसे लोहा लेने के लिए हर तरह के तरीके अपना सकते हैं। काकोरी कांड के लिए हमेशा रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह समेत कुल दस क्रांतिकारियों को याद किया जाता है। इस कांड को अंजाम देने वालों में अधिकतर लोग ‘हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन’ से जुड़े थे। जिनमें से कुछ को बाद में इस मामले के लिए फांसी भी हो गई। इस पूरे कांड के दौरान जर्मनी के माउज़र का इस्तेमाल किया गया, करीब चार हजार रुपये लूटे गए थे।

9 अगस्त 1925 को हुई इस घटना के ऊपर शहीद-ए-आज़म भगत सिंह ने काफी विस्तार से लिखा है। उन दिनों छपने वाली पंजाबी पत्रिका ‘किरती’ में भगत सिंह ने एक सीरीज़ शुरू की थी, जिसमें वो काकोरी कांड के हीरो का परिचय पंजाबी भाषा में लोगों से करवाते थे। इसके अलावा उस पूरी घटना से जुड़ी बातें साझा करते थे।

सीएम योगी ने दी शुभकामनाएं
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काकोरी कांड की वर्षगांठ पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि देश को स्वतंत्र कराने के लिए यह निर्णायक युद्ध था। इसमें शामिल सभी महान आत्माओं को बारंबार नमन।

क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे स्वतन्त्रता के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत थी। इस बाबत बैठक हुई जिसके दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। इस योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेंद्रनाथ लाहिरी ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी " पैसेन्जर ट्रेन" को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाख उल्ला खां, पंडित चंद्रशेखर आजाद व ६ अन्य सहयोगियों की सहायता से समूची लौह पथ गामिनी पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया। बाद में अंग्रेजी सत्ता उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल 40 क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व यात्रियों की हत्या करने का प्रकरण चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु-दण्ड सुनायी गयी। इस प्रकरण में 16 अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम 4 वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी की सजा दी गई।

 


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Author

Moulshree Tripathi

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