उत्तराखंडः पनपतिया ग्लेशियर में फंसे 18 ट्रैकर्स, एक की मौत, SDRF की टीम पहुंची

punjabkesari.in Thursday, Jun 14, 2018 - 10:56 AM (IST)

रुद्रप्रयागः उत्तराखंड के पनपतिया ग्लेशियर में  5 जून से फंसे 12 ट्रैकर्स को बचाने के लिए हाल ही में माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली टीम को लगाया गया है। 

16000 की फीट ऊंचाई पर पहुंचने के बाद एक सदस्य की मौत 
जानकारी के अनुसार, बंगाल रेलवे के इंजीनियरों का यह दल 5 जून को रुद्रप्रयाग के लामबगड़ से नदी किनारे ट्रैकिंग पर निकला था। इसके बाद लगभग 16000 फीट की ऊंचाई पर पहुंचकर यह दल फंस गया। वहीं राज्य सरकार की तरफ से बंगाल सरकार को पूरे हालातो के बारे में जानकारी दी जा रही है। चारों तरफ बर्फीले पहाड़ और 16000 की फीट ऊंचाई पर पहुंचने के बाद इस दल के एक सदस्य की मौत हो गई। इसके बाद घबराए ट्रैकर्स रास्ता भटक गए। दल के साथ गए 12 पोटर्स और 2 गाइड भी मौजूद है। इनमें से 2 लोगों को रुद्रप्रयाग मुख्यालय के लिए पैदल निकाला गया था जिन्होंने यह सूचना दी है कि कठिन हालातों और पनपतिया ग्लेशियर से भी आगे सभी लोग फंसे हुए हैं। सभी लोगों की सूचना जैसे ही रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी को पहुंची वैसे ही स्थानीय पुलिस और रेस्क्यू टीम को मौके पर निकाला गया लेकिन बताया जाता है कि जिस जगह पर यह लोग फंसे हुए हैं, वहां पर पहुंचना बेहद कठिन है। 

रेस्क्यू दल को 2 दिनों का सफर पैदल करना होगा पारः संजय गुंज्याल 
एसडीआरएफ संजय गुंज्याल ने देहरादून से तुरंत उस टीम को रवाना किया जो टीम हाल ही में माउंट एवरेस्ट फतह करके लौटी है। माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली इस टीम पर अब जिम्मेवारी है कि उन 11 फंसे लोगों को सुरक्षित निकालना जो बंगाल से यहां पर ट्रैकिंग के लिए आए थे। संजय गुंज्याल का कहना है कि जैसे ही प्रशासन को इसकी सूचना मिली वह तुरंत चॉपर के माध्यम से रेस्क्यू टीम को निकाला गया लेकिन कठिन हालातों में यह टीम कुछ दूरी तक तो जा सकती है लेकिन 2 दिनों का सफर रेस्क्यू दल को भी पैदल भी पार करना होगा जिसके बाद यह टीम फंसे हुए लोगों तक पहुंच पाएगी। इस टीम का संपर्क सुबह जिला प्रशासन से हुआ था, जिन्होंने बताया है कि फिलहाल मौसम साफ है और रेस्क्यू के लिए टीम आगे बढ़ रही है। 

राज्य सरकार इस मामले में लगातार बनाए हुए नजरः मदन कौशिक 
राज्य सरकार भी इस मामले में लगातार नजर बनाए हुए है। सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि हमारे पास पर्याप्त संसाधन है। इसी के चलते सभी को इस रेस्क्यू के लिए लगाया गया है। रेस्क्यू दल 2 दिनों में वहां तक पहुंच जाएगा और लगभग डेढ़ दिन नीचे उतरने में सभी को लगेंगे। उनका कहना है कि यह ग्लेशियर इतना खतरनाक है कि इससे पहले भी यहां पर कई लोग फंस चुके हैं। चारों तरफ बर्फबारी की वजह से ट्रेकिंग दल इनको पार करने की कोशिश करते हैं और तभी उनके साथ इस तरह के हादसे होते हैं। देहरादून में संजय गुंज्याल पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

Nitika