पौड़ी में भीषण बस हादसे के 24 घंटे बाद बचाव अभियान खत्मः कुल 33 बारातियों की मौत, 19 अन्य घायल

punjabkesari.in Thursday, Oct 06, 2022 - 10:37 AM (IST)

 

पौड़ीः उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में बारात ले जा रही एक बस के खाई में गिरने से 33 बारातियों की मौत हो गई, जबकि 19 अन्य लोग घायल हो गए। हादसे के 24 घंटे बाद बचाव अभियान खत्म किया गया।

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पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी। मंगलवार शाम करीब सात बजे हुई दुर्घटना के बाद स्थानीय ग्रामीण सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे और सहायता पहुंचने तक उन्होंने अपने मोबाइल फोन की फ्लैशलाइट से पीड़ितों की तलाश की। बस में 50 से ज्यादा लोग सवार थे, जो हरिद्वार के लालढांग कस्बे से बीरोंखाल के कांडा गांव जा रही थी लेकिन यह सिमरी मोड़ के पास 500 मीटर गहरी खाई में गिर गई। पुलिस ने बताया कि बचाव अभियान मंगलवार और बुधवार की पूरी दरमियानी रात जारी रहा।

राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के प्रभारी विकास रमोला ने बताया कि 31 शवों को निकाला गया है जबकि 2 घायलों ने अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में दम तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि मृतक संख्या 33 है। बस से पीड़ितों को निकालने में एसडीआरएफ की मदद करने वाले ग्रामीण राजकिशोर ने कहा, “अंधेरे में गहरी खाई में उतरना, वह भी सिर्फ फोन की फ्लैशलाइट से, वाकई चुनौतीपूर्ण था।” पुलिस ने बताया कि 20 घायलों को बीरोंखाल, रिखनीखाल और कोटद्वार के अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है। पुलिस ने बताया कि दो लोगों ने अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया था।

एसडीआरएफ ने बताया कि हादसे में जख्मी हुआ एक शख्स खुद ही सुरक्षित स्थान पर पहुंच गया और बाद में दुर्घटनास्थल पर वापस आ गया। उसे भी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। पौड़ी में हुए हादसे में सिर्फ जान हानि ही नहीं हुई बल्कि कई परिवार तबाह हो गए। हादसे में 58 वर्षीय चंद्रप्रकाश ने अपने दो बेटों सतीश (34) और अनिल (30), तथा उनकी पत्नियों क्रमश: वर्षा (28) और अंजलि (24) और एक पोते को खो दिया।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कोटद्वार में अस्पताल में भर्ती घायलों से भी मुलाकात की। धामी ने हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए और घायलों को 50-50 हजार रुपए देने की घोषणा की है। धामी ने जिला प्रशासन को यह भी निर्देश दिए हैं कि उन ग्रामीणों की पहचान की जाए, जो सबसे पहले मदद के लिए घटनास्थल पर पहुंचे थे ताकि उन्हें पुरस्कृत किया जा सके।
 


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Nitika

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