स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावों की खुल रही पोल, मरीजों को नहीं मिल रहा उचित उपचार

punjabkesari.in Saturday, May 05, 2018 - 01:45 PM (IST)

देहरादूनः उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर प्रशासन और विभाग द्वारा लाख दावे किए जा रहें हैं। इसके बावजूद भी कई ऐसे मामले सामने आ रहें हैं जो इन दावों की पोल खोल रहें हैं। ऐसा ही एक मामला राज्य की राजधानी के पंडित दीनदयाल अस्पताल का प्रकाश में आया है जिसने सरकार और स्वास्थ्य विभाग को सवालों के कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है।

यह है मामला 
विश्व हिंदू परिषद के नेता चरणजीत हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र में मीट की दुकानों को हटाने के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। इसके बाद प्रशासन ने कोई एक्शन नहीं लिया तो उन्होंने आत्मदाह कर लिया जिसके बाद पहले तो उन्हें हरिद्वार के सरकारी अस्पताल में भर्ती किया जहां उनको बेहतर इलाज ना मिलने की वजह से उन्हें उत्तराखंड की राजधानी के दीनदयाल अस्पताल में रेफर कर दिया गया। बड़ा सवाल यह उठता है कि उत्तराखंड के एकमात्र बर्न अस्पताल में भी उनका बेहतर इलाज नहीं हो पाया जिसके बाद उन्हें एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। 

यह कहना है दीनदयाल अस्पताल प्रशासन का 
वहीं जब इस मामले पर अस्पताल के प्रशासन से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जो मरीज यहां भर्ती हुए थे वह लगभग 40% जल गए थे जिनका बेहतर इलाज अस्पताल में हो सकता था लेकिन उनके साथ आए हुए लोगों ने मांग की कि उन्हें प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कर दिया जाए। मरीज का इलाज करने वाले डॉक्टर का भी यही कहना है कि उनके द्वारा ट्रीटमेंट किया जा रहा था लेकिन उनके साथ आए हुए लोगों ने डॉक्टर ने ही उन्हें प्राइवेट अस्पताल में लेकर जाने की मांग की।

प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर ने कहा इलाज करने में हुई काफी दिक्कत 
वही विश्व हिंदू परिषद के नेता का कहना है कि जब उन्हें प्राइवेट अस्पताल लेकर आया गया तो डॉक्टरों ने उनका बेहतर इलाज किया। साथ ही प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर ने बताया की मरीज काफी खराब स्थिति में आया था और जब मरीज को यहां लाया गया तो काफी समय हो गया था जिसके बाद उनका इलाज करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। साथ ही उन्होंने बताया कि इन्हें हरिद्वार से देहरादून के पंडित दीनदयाल अस्पताल में रेफर किया गया था जिसके बाद वहां के डॉक्टरों ने उन्हें यहां रेफर कर दिया।
 

prachi