शीतकाल के लिए विधिवत बंद हुए बद्रीनाथ के कपाट, भव्य रूप से फूलों से सजाया गया धाम

punjabkesari.in Sunday, Nov 21, 2021 - 11:10 AM (IST)

 

देहरादूनः विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष शीतकाल हेतु शनिवार, मार्गशीर्ष 5 गते प्रतिपदा को वृष लग्न राशि में सायं 6 बजकर 45 मिनट पर विधि-विधान से बंद हो गए। इस अवसर पर बद्री विशाल पुष्प सेवा समिति, ऋषिकेश द्वारा मंदिर को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया था। धाम की सुदूर पहाड़ियों पर बर्फ जमी है, जिससे धाम में भी तापमान कम है तथा मौसम सर्द बना हुआ है। शनिवार प्रात: ब्रह्म मुहुर्त में बद्रीनाथ मंदिर के द्वार खुल गए थे।

भगवान बद्री विशाल जी की अभिषेक पूजा हुई। कुछ देर पूजा-अर्चना एवं दर्शन पश्चात बाल भोग समर्पित किया गया। श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। दिन का भोग प्रसाद चढ़ाया गया। विष्णुसहस्त्रनाम पूजाएं तथा शयन आरती संपन्न हुई। शाम साढ़े 4 बजे से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इसके पश्चात, शाम साढ़े 5 बजे उद्धव जी एवं कुबेर जी, एवं गरूड़ जी के मंदिर गर्भ गृह से बाहर मंदिर परिसर में आते ही रावल जी द्वारा स्त्रैण भेष धारणकर मां लक्ष्मी को मंदिर भगवान बद्री विशाल के समीप विराजमान किया। तत्पश्चात, सीमांत पर्यटन ग्राम माणा के महिला मंडल द्वारा भगवान बद्री विशाल को भेंट किया गया ऊन से बना घृत कंबल भगवान बद्री विशाल को ओढ़ाया गया। इसके बाद रावल जी द्वारा गर्भ गृह के कपाट बंद कर दिए गए। इस अवसर पर रावल जी सहित श्रद्धालुगण भी भावुक हो गए तथा रावल जी समारोह के साथ मंदिर के मुख्य द्वार से बाहर की तरफ प्रस्थान हुए। शाम 06 बजकर 45 मिनट पर भगवान बद्री विशाल मंदिर का मुख्य द्वार शीतकाल हेतु बंद कर दिया गया। इस दौरान सेना के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियां बद्रीनाध धाम में गुंजायमान होती रही। 

र्भ गृह में रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी जी द्वारा कपाट बंद करने की प्रक्रिया पूरी की गई। कपाट बंद होने का संपूर्ण कार्यक्रम उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह की देखरेख में संपन्न हुआ। सेना ने आगंतुक तीर्थयात्रियों हेतु भंडारे लगाए। ऋषिकेश, मेरठ, दिल्ली और गोपेश्वर के दानदाताओं ने भंडारे आयोजित किए। स्थानीय माणा, बामणी,पांडुकेश्वर की महिला भजन मंडलियों ने भगवान बद्रीविशाल के भजन, झूमेलो कार्यक्रम प्रस्तुत किए। उल्लेखनीय है कपाट बन्द होने से पूर्व, मंगलवार 16 नवंबर से पंच पूजाएं शुरू हुई थी। पंच पूजाओं में 16 नवंबर को गणेश जी की पूजा एवं कपाट बंद हुए। फिर 17 नवंबर को आदिकेदारेश्वर जी के कपाट बन्द होने के बाद, 18 नवंबर को खडग पुस्तक पूजन, वेद ऋचाओं का वाचन बंद किया गया। इसके बाद 19 नवंबर को चौथे दिन मां लक्ष्मी जी का आव्हान के बाद पांचवें दिन कपाट बंद हो गए। इस अवसर पर 4 हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के गवाह बने।

कपाट बंद होने के बाद देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का बद्रीनाथ कार्यालय अब शीतकाल के लिए जोशीमठ से संचालित होगा। भगवान बद्री विशाल के खजाने के साथ गरूड़ भगवान की विग्रह प्रतिमा बद्रीनाथ धाम से नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी। बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ भविष्य बद्री मंदिर सुभाई तपोवन (जोशीमठ) तथा मातामूर्ति मंदिर माणा सहित घंटाकर्ण मंदिर माणा के कपाट तथा बदरीनाथ धाम में अधीनस्थ मंदिरों के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि घंटाकर्ण महाराज जी, भगवान बद्रीविशाल के प्रधान क्षेत्रपाल कहलाते है। शीतकाल हेतु 16 नवंबर को भगवान घंटाकर्ण जी की मूर्ति को मूल मंदिर से पश्वाओं द्वारा अज्ञात स्थान पर शीतकाल हेतु विराजमान कर दिया गया। साथ ही, माणा गांव स्थित घंटाकर्ण मंदिर के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गए। इस अवसर पर माणा ग्राम में पारंपरिक उत्सव भी आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल हुए।

बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद रविवार प्रात: 21 नवंबर उद्वव जी एवं कुबेर जी रावल जी सहित आदिगुरु शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी के साथ रात्रि प्रवास के लिए योग बद्री मंदिर पांडुकेश्वर पहुंचेगी। कुबेर जी अपने पांडुकेश्वर स्थित मंदिर में तथा उद्धव जी योग-बद्री पांडुकेश्वर में विराजमान में हो जाएंगे जबकि 22 नवंबर को रावल जी एवं आदिगुरु शंकराचार्य जी की गद्दी नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान होंगे। इसके साथ ही योग बद्री पांडुकेश्वर एवं नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं भी शुरू होंगी।
 


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Nitika

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